बीजिंग। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर रघुराम राजन ने शनिवार को कहा है कि चीन की आर्थिक सुस्ती का भारत पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि चीन का दर्द भारत का भी दर्द है। उनका यह कथन भारत सरकार के दावे के बिल्कुल उलट है। सरकार कहती रही है कि चीन की अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती का असर भारत पर नहीं पड़ेगा। राजन ने यहां साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट को दिए इंटरव्यू में कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती पूरी दुनिया के लिए चिंता की बात है। चीन को होने वाले हमारे निर्यात में कुछ की मांग कम हुई है। लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर भी कई देश हैं, जो चीन को उतना निर्यात नहीं कर पा रहे हैं, जितना वह करते रहे हैं और इसलिए वह हमसे भी खरीदारी कम कर रहे हैं।
राजन ने कहा कि भारत उपभोक्ता जिंस का आयातक देश है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंस के दाम घटने से उसे मदद मिली है। इसलिए इस समय जितना असर हो सकता था वह नहीं है। फिर भी कुल मिलाकर चीन की आर्थिक सुस्ती से हम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। क्योंकि, इसकी सुस्ती का असर वैश्विक आर्थिक वृद्धि पर पड़ा है और भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
वित्त मंत्री ने बताया था चीन की मंदी को भारत के लिए अवसर
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले महीने कोलंबिया विश्वविद्यालय में कहा था कि भारत पर मंदी का कोई असर नहीं पड़ा है। भारत, चीन की आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा था कि वहां की सुस्ती को देखते हुए भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अतिरिक्त सहारा बन सकता है। भारत की तरफ से हाल में चीन की अर्थव्यवस्था पर की गई कुछ टिप्पणियों की चीनी मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी।
लेना होगा सबक
अपने साक्षात्कार में राजन ने भारत और चीन के बीच बढ़ती आपसी निर्भरता का भी जिक्र किया। राजन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट तौर पर पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारने के लिए स्पष्ट मार्ग प्रशस्त किया है। पारंपरिक तौर पर पश्चिम पर ध्यान देने के बजाये अब पूर्व की ओर ज्यादा ध्यान है। चाहे एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक हो या फिर चीन की रेशम मार्ग पहल, हमारी चीन और चीनी परियोजनाओं के साथ अधिक संलिप्तता होगी। इससे क्षेत्र में जुड़ने और विस्तार करने में चीन का भी हित होगा। राजन ने उम्मीद जताई कि भारत आर्थिक मार्ग के बारे में चीन से सबक लेगा। हमें चीन की विनिर्माण क्षेत्र की सफलता से सीखना चाहिए कि उसने किस प्रकार अपना ढांचागत विकास किया, किस प्रकार ग्रामीण क्षे़त्र में उद्यम को प्रोत्साहन दिया और किस प्रकार इतनी बड़ी मात्रा में एफडीआई को व्यवस्थित किया। कई भारतीय व्यवसायी जो चीन जाते रहते हैं, वह बेहतर अनुभव के साथ लौटते हैं और बताते हैं कि किस प्रकार चीन में भारत से बेहतर काम होता है।