नई दिल्ली। भारत को अपनी बड़ी युवा आबादी के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने के लिए 2025 तक 8 करोड़ जॉब पैदा करने की जरूरत है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है ताकि अधिक जनसंख्या सरकार का दायित्व न बन पाए। एचएसबीसी पीएलसी का अनुमान है कि हालांकि सरकार मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट कर रही है तब भी यहां 2.4 करोड़ जॉब की शॉर्टेज होगी, क्योंकि सर्विस सेक्टर में ज्यादा रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं।
एचएसबीसी के इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी और पृथ्वीराज श्रीनिवास के मुताबिक यदि भारत भी अपने यहां चीन की तरह ऑनलाइन शॉपिंग को बढ़ावा देता है तो ई-कॉमर्स (E-Commerce) जॉब के इस गैप को आधे से ज्यादा भर सकता है। दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले इस देश में इंटरनेट तक पहुंच और ऑनलाइन खरीदारी आज जिस जगह है, वहां चीन सात साल पहले था। इकोनॉमिस्ट ने लिखा है कि तभी चीन के ई-कॉमर्स ने तेज गति से आगे बढ़ना शुरू कर दिया था।
भारत को इस समय चीन की तरह काम करना चाहिए। चीन में खुदरा विक्रेताओं का संगठित नेटवर्क नहीं है ऐसे में वहां बदलाव के लिए ई-कॉमर्स को संभावित पावरफुल फोर्स बनाया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग का टाओबाओ प्लेटफॉर्म पर 2025 तक 50 लाख ग्रामीण अपनी दुकानें ऑनलाइन स्थापित कर लेंगे, जो ग्रामीण चीन को पूरी तरह से एक ऑनलाइन बाजार में तब्दील कर देंगे। जबकि भारत अभी भी एक कैश-आधारित इकोनॉमी बना हुआ है। सरकार द्वारा गरीबों तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाने के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम के तहत पिछले दो सालों में 22 करोड़ नए खाते खोले गए हैं। भारत में बढ़ती हुई युवा आबादी नई टेक्नोलॉजी और मोबाइल वॉलेट्स को अपना रही है, जिससे इनकी ग्रोथ भी तेज हो रही है। सरकार को इसका फायदा उठाना चाहिए।
एचएसबीसी का अनुमान है कि भारत में ऑनलाइन सेल्स, जिसमें ट्रेवल जैसी सर्विस भी शामिल हैं, वर्तमान में 21 अरब डॉलर से बढ़कर 2025 तक 420 अरब डॉलर हो जाएगी। लेकिन यह सरकार की सड़कों के आधुनिकीकरण, बैंक कनेक्टीविटी का विस्तार, श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और स्टार्टअप्स कंपनियों को शुरू करने के लिए प्रोत्साहन जैसी योजनाओं की सफलता पर ही निर्भर होगा। ई-कॉमर्स में बूम 2 करोड़ नए जॉब पैदा कर सकता है। एचएसबीसी रिपोर्ट में इस प्रक्रिया में ऑलनाइन रोजगार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए शुद्ध रूप से 1.2 करोड़ नए जॉब का अनुमान लगाया गया है।
शेष 1.2 करोड़ जॉब का क्या जिसकी भारत को जरूरत है, इस सवाल पर एचएसबीसी के इकोनॉमिस्ट का कहना है कि हेल्थ और एजुकेशन सर्विसेस में भी काफी संभावनाएं हैं, सरकार को यहां भी ध्यान देना चाहिए।