कोलम्बो। चीन के मित्र राष्ट्र श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर इस समय संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कोरोनावायरस महामारी से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे इस साउथ एशियन देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घटकर बहुत कम रह गया है, जिस वजह से इसे कृषि रसायनों, कारों और अपने मुख्य मसाले हल्दी के आयात में कटौती करनी पड़ी है। श्रीलंका को अपने भारी कर्ज को चुकाने में भी परेशानी हो रही है।
भारत के इस पड़ोसी देश ने अपने व्यापार घाटे को कम करने के लिए टूथब्रश, स्ट्रॉबेरी, सिरका, वेट वाइप्स और चीनी सहित सैकड़ों विदेश से आने वाले सामानों को प्रतिबंधित कर दिया है या विशेष लाइसेंसिंग आवश्यकता के अधीन ला दिया है। श्रीलंका में कई उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी और लंबे समय से चल रहे संकट से तंग आकर आम जनता ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
पर्यटन घटने से बढ़ी मुश्किल
महामारी से पहले ही श्रीलंका मुश्किल में था और पर्यटन उद्योग के प्रभावित होने से यह परेशानी और बढ़ गई। पर्यटन विदेशी मुद्रा आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह क्षेत्र आमतौर पर 30 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है और जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी पांच प्रतिशत से अधिक है। 2019 में ईस्टर पर हुए आत्मघाती हमले में 250 लोग से अधिक मारे गए थे। तब से पर्यटक श्रीलंका से दूरी बनाए हुए हैं। इसके बाद उद्योग को दोबारा पटरी पर लाने की सभी कोशिशों पर कोविड-19 संक्रमण की वजह से पानी फिर गया।
तीन महने के आयात के लिए बचा है मुद्रा भंडार
इस समय श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार मुश्किल से तीन महीने के आयात का भुगतान करने के लिए पर्याप्त है। बड़ी मात्रा में विदेशी ऋणों की अदायगी लंबित है, जिससे श्रीलंका की वित्तीय प्रणाली प्रभावित हो रही है। पेट्रोलियम मंत्री उदय गमपिल्ला ने हाल ही में कहा था कि देश में तेल आयात के भुगतान के लिए नकदी की कमी है। भुगतान संतुलन के लिए सरकार ने अमेरिकी डॉलर के लेनदेन को सीमित कर दिया है।
फिच रेटिंग्स ने घटाई रैंकिंग
आर्थिक शोध समूह प्वाइंट पेड्रो इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट के प्रमुख मुत्तुकृष्ण सर्वनाथन ने कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब है, इसमें कोई संदेह नहीं है। फिच रेटिंग्स ने श्रीलंका को सीसीसी श्रेणी में डाउनग्रेड कर दिया है, जो डिफॉल्ट की वास्तविक संभावना को दर्शाता है। इसमें कहा गया है कि अगले पांच वर्षों में देश का विदेशी ऋण दायित्व बढ़कर 29 अरब डॉलर हो जाएगा। श्रीलंका को इस साल 3.7 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज का भुगतान करना है, जिसमें से अबतक 1.3 अरब डॉलर का ही भुगतान हुआ है।
चीन और भारत से ले रहा है मदद
अपने विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के लिए श्रीलंका ने इस साल की शुरुआत में चीन से 1.5 अरब डॉलर की स्वैप सुविधा हासिल की है। श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने बताया कि इस साल अगस्त तक उसे भारत से 40 करोड़ डॉलर की स्वैप सुविधा हासिल होगी।
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