नई दिल्ली। निर्माण गतिविधियों में सुस्ती तथा ऊर्जा के इस्तेमाल पर अंकुश के बीच सितंबर तिमाही में चीन की आर्थिक वृद्धि दर सुस्त पड़ी है। इससे कोरोना वायरस महामारी की मार से प्रभावित अर्थव्यवस्था की रिकवरी पर असर पड़ा है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सितंबर में समाप्त तिमाही में 4.9 प्रतिशत रही है। इससे पिछली तिमाही में अर्थव्यवस्था 7.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। इस दौरान कारखाना उत्पादन, खुदरा बिक्री, निर्माण और अन्य गतिविधियों में निवेश कमजोर पड़ा है। चीन के निर्माण क्षेत्र में लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ। इस क्षेत्र की वृद्धि काफी धीमी पड़ गई है। पिछले साल नियामकों ने बिल्डरों द्वारा अत्यधिक कर्ज लिए जाने की वजह से क्षेत्र पर अपना नियंत्रण बढ़ाया था। चीन के सबसे बड़े समूहों में से एक एवरग्रैंड बांडधारकों को अरबों डॉलर के भुगतान के लिए संघर्ष कर रहा है। बिजली कटौती की वजह से सितंबर में चीन का विनिर्माण भी प्रभावित हुआ है।
आंकड़े जारी करने के बाद चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स ने कहा कि चीन की आर्थिक ग्रोथ में सबसे बड़ा हिस्सा घरेलू खपत का रहा है । हालांकि ये ध्यान में रखना होगा कि विदेशी अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितता की स्थिति है और घरेलू अर्थव्यवस्था अभी भी पूरी तरह से मजबूती नहीं पकड़ सकी है। आंकड़ों के मुताबिक चीन की कंज्यूमर गुड्स की रिटेल बिक्री पहले तीन तिमाही में पिछले साल के मुकाबले 16 प्रतिशत बढ़ी है। जो कि जनवरी से सितंबर के दौरान 4.9 लाख करोड़ डॉलर के बराबर है। इसके साथ ही चीन की वैल्यू एडेड इंडस्ट्रियल आउटपुट पिछले साल के मुकाबले 11.8 प्रतिशत बढ़ी है जबकि फिक्स्ड एसेट इनवेस्टमेंट में 7.3 प्रतिशत की बढ़त रही है। वहीं आंकड़ों के अनुसार शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर पिछले साल के मुकाबले घटकर 5 प्रतिशत से नीचे पहुंच गयी।
आंकड़ों के साथ साथ कई वित्तीय संस्थानों ने चीन की ग्रोथ को लेकर अपने अनुमान संशोधित किये हैं। गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान दिया है कि चौथी तिमाही में चीन की जीडीपी 3.2 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, इससे पहले बढ़त का अनुमान 4.1 प्रतिशत का था। वहीं मूडीज ने अनुमान दिया है कि चीन में बिजली संकट का अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा और 2022 की जीडीपी ग्रोथ पर इसका असर देखने को मिल सकता है।