आयात में तेजी से वृद्धि, लेकिन निर्यात में गिरावट के कारण जोखिमपूर्ण व अस्थिर पाकिस्तानी विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले कुछ महीनों में भारी कमी दर्ज की गई है, जिसे पाटने के लिए चीन ने मदद की है। यह बीजिंग और इस्लामाबाद के बीच निकट साझेदारी को दर्शाता है, क्योंकि पाकिस्तान तथा अमेरिका के संबंधों में दरार आ गई है। चीन द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में कई परियोजनाओं को मंजूरी देने के बाद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत पाकिस्तान में बीजिंग का निवेश 55 अरब डॉलर से बढ़कर 62 अरब डॉलर हो जाएगा। अनुमानित लाभ के बावजूद पाकिस्तान को समझौते से फायदा होगा, हालांकि सीपीईसी ढांचागत परियोजनाओं के लिए ठेकेदारों तथा आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान से उसका विदेशी मुद्रा भंडार कम होगा।
टॉपलाइन सिक्युरिटीज के एक विश्लेषक साद हाशमी ने कहा, “सीपीईसी का सालाना पुनर्भुगतान तीन अरब डॉलर होगा। वित्त वर्ष 2020-25 के बीच 2 अरब डॉलर-5.3 अरब डॉलर होगा, जिसके लिए औसतन पुनर्भुगतान 3.7 अरब डॉलर होगा।”