बीजिंग। चीन ने इस वर्ष के लिए अपने जीडीपी वृद्धि के लक्ष्य को आधिकारिक तौर पर घटाकर 6 से 6.5 प्रतिशत कर दिया है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने आर्थिक मंदी के संकेतों और अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के चलते लक्ष्य में कमी का यह फैसला किया है।
चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के वार्षिक सत्र की शुरुआत में अपने कामकाज का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने वृद्धि दर के लक्ष्य को कम करने का प्रस्ताव रखा। व्यापार युद्ध के अलावा अर्थव्यवस्था में लगातार मंदी के कारण भी चीन की वृद्धि दर प्रभावित हुई है। मुख्य रूप से निर्यात पर निर्भर चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पिछले साल 6.6 प्रतिशत पर रही, जो पिछले तीन दशक का न्यूनतम आंकड़ा था।
अपनी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए चीन आनन-फानन में एक नया निवेश कानून पारित करने वाला है। यह मसौदा कानून व्यापार युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुख्य मांगों में से एक मांग के अनुरूप है।
एनपीसी के प्रवक्ता झांग येसुई ने सोमवार को बताया कि मसौदा विदेशी निवेश कानून को आठ मार्च को समीक्षा के लिए एनपीसी के समक्ष रखा जाएगा और इस पर 15 मार्च को मतदान होगा। मंगलवार को शुरू हुए एनपीसी के उद्घाटन सत्र में क्विंग के संबोधन में दिए गए अहम आंकड़ों के मुताबिक चीन ने उपभोक्ता महंगाई दर को तीन प्रतिशत की दर पर सीमित रखने और शहरी इलाकों में 1.1 करोड़ नई नौकरियों के सृजन का लक्ष्य रखा है।
रक्षा बजट साढ़े सात प्रतिशत बढ़ाया
अमेरिका के बाद रक्षा क्षेत्र पर सर्वाधिक खर्च करने वाले चीन ने मंगलवार को इस साल के अपने रक्षा बजट को साढ़े सात प्रतिशत की वृद्धि के साथ 177.61 अरब डॉलर करने का ऐलान किया है। यह भारी-भरकम राशि भारत के रक्षा बजट के मुकाबले तीन गुना से भी अधिक है। 2019 का रक्षा बजट 1,190 अरब युआन (करीब 177.61 अरब डॉलर) का होगा।
इस साल रक्षा बजट में पिछले साल के 8.1 प्रतिशत के मुकाबले कम बढ़ोत्तरी की गई है। चीन वर्ष 2016 से अपने रक्षा बजट में हर साल दस से कम अंक की वृद्धि कर रहा है अन्यथा 2015 तक उसने रक्षा क्षेत्र में दोहरे अंकों में बढ़ोतरी की थी। इस साल की बढ़ोतरी के साथ रक्षा क्षेत्र पर चीन का व्यय 200 अरब डॉलर के आंकड़े के करीब पहुंच गया है।
भारत के रक्षा बजट को इस साल 6.87 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3.18 लाख करोड़ रुपए करने का फैसला किया गया। हालांकि, यह आंकड़ा पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान के अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार बढ़ाए जाने की वजह से लगाई जा रही उम्मीदों के अनुरूप नहीं है।