नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (केट) ने चीन के पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना द्वारा आईसीआईसीआई बैंक में निवेश की कड़ी निंदा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आईसीआईसीआई बैंक और एनबीएफसी इकाई एचडीएफसी को चीन का निवेश वापस लौटाने का आदेश देने का अनुरोध किया है।
चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) ने इन दोनों कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदी है। केट ने हाल ही में 15,000 करोड़ रुपए जुटाने वाले आईसीआईसीआई बैंक की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि देश में चीन विरोधी सेंटिमेंट के बावजूद इस बैंक ने चीन को हिस्सेदारी खरीदने की इजाजत दे दी।
केट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि यह स्पष्ट नजर आता है कि चीन की मंशा भारतीय बैंकिंग और वित्तीय सेक्टर में घुसपैठ करने की है, जो काफी मजबूत है और देश के आर्थिक स्वास्थ के लिए काफी अहम है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने विदेशी निवेश की प्रणाली पर नजर रखने की प्रयास किए थे, मगर रिजर्व बैंक की तरफ से चीन से आने वाले फंडों और निवेश पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
गौरतलब है कि आईसीआईसीआई बैंक ने हाल ही में क्यूआईपी के जरिये 350 निवेशकों से 15,000 करोड़ रुपए जुटाए थे, जिसमें से एक नाम पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना का था। इसने बैंक में 15 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे थे। इससे पहले पीबीओसी ने एचडीएफसी में भी 0.2 फीसदी हिस्सेदारी खरीद कर अपने निवेश को 1 फीसदी के ऊपर पहुंचा दिया था। हालांकि, गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव बढ़ने से चीन विरोधी सुर तूल पकड़ रहे हैं।
सराकर ने अप्रैल में पड़ोसी मुल्कों से आने वाले निवेश पर नकेल कसने के लिए नियामकीय अनुमति लेनी अनिवार्य कर दी थी। इस फैसले में वे देश शामिल थे, जिनकी सीमा भारत से मिलती है। यह फैसला चीन से आने वाले निवेश पर रोक लगाने के लिए लिया गया था। जुलाई में भारत ने चीन की 59 एप्स को प्रतिबंधित कर दिया था, जिसमें टिकटॉक, हेलो और वीचैट शामिल थे। भारत सरकार ने यह फैसला भारत की एकता और संप्रभुता पर मंडरा रहे खतरे के मद्देनजर लिया था।