नई दिल्ली।चीन के सेंट्रल बैंक द्वारा उठाए तमाम कदमों के बाद भी चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं देखने को मिल रहा है। तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में चीन की जीडीपी ग्रोथ घटकर 6.9 फीसदी रह गई है, जो कि 6 साल में सबसे कम है। दूसरी तिमाही में चीन की जीडीपी 7 फीसदी की दर से बढ़ी थी। खराब आर्थिक आंकड़ों के बाद पॉलिसी मेकर्स ब्याज दरों में कटौती के लिए दबाव बना रहे हैं। हालांकि राहत की बात यह कि मार्केट के अनुमान 6.8 फीसदी से जीडीपी ग्रोथ ज्यादा है। एक्सपर्ट के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं अभी भी बरकरार है।
चीन की जीडीपी रफ्तार 6 साल में सबसे कम
चीन की जीडीपी ग्रोथ 2009 की पहली तिमाही के बाद से सबसे कम है। 2009 की पहली तिमाही में चीन की जीडीपी ग्रोथ 6.2 फीसदी रही थी। वहीं एक्सपर्ट्स मानते है कि चीन में मंदी आने वाले दिनो में और गहरा सकती है। ऑक्सफोर्ड के इकोनोमिस्ट लुई कुजिस ने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी और एक्सपोर्ट में आई गिरावट के कारण जीडीपी की रफ्तार धीमी पड़ी है। मुझे लगता है कि 2016 में जीडीपी ग्रोथ और घट सकती है। इसको देखते हुए सरकार अतिरिक्त राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है।
चीन की अर्थव्यवस्था पर चौतरफा दबाव
सितंबर में चीन का फैक्ट्री आउटपुट पिछले साल के मुकाबले 5.7 फीसदी बढ़ा है, जो कि 6 फीसदी के अनुमान से कम है। वहीं, अर्थव्यवस्था के लिए अहमफिक्स्ड-एसेटइन्वेस्टमेंट साल के शुरुआती 9 महीने के दौरान 10.3 फीसदी बढ़ा है। जबकि अनुमान 10.8 फीसदी का था।
चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर मूडीज ने जताई चिंता
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं अभी तक बरकरार है। एजेंसी के मुताबिक चीन का एक्सपोर्टलगातारगिर रहा है। इसके कारण इंडस्ट्री और बड़े कॉर्पोरेट्स पर लोन बढ़ते जा रहे हैं। वहीं कई बड़ी कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर खड़ी है। खराब आर्थिक आंकड़ों के बाद चीन अगर राहत पैकेज भी देता है, तो उसका असर लंबे समय के बाद दिखेगा।
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