नई दिल्ली। चीन की आर्थिक ग्रोथ को बड़ा झटका लगा है। 2016 में चीन की कुल GDP विकास दर 6.7 फीसदी दर्ज की गई है। जो कि 26 साल में सबसे कम ग्रोथ है। हालांकि यह अनुमान चीनी सरकार के टारगेट के नजदीक ही रही है।
कमजोर रहे चीन के GDP आंकड़े
- चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2016 में समाप्त चौथी तिमाही की वृद्धि 6.8 फीसदी रही जो तीसरी तिमाही के 6.7 फीसदी से तेज है। वर्ष 2015 में चीन की वृद्धि दर 6.9 फीसदी थी।
- वर्ष 2011 में चीन का विकास दर 9.3 फीसदी था
- 2012 में 7.7 फीसदी, 2013 में 7.7 फीसदी और 2014 में 7.3 फीसदी रही।
- इस लिहाज से देखा जाये तो चीन ने विकास दर के मामले में वैश्विक मंदी के दौर में भी विकास दर को 5 फीसदी से ज्यादा करने में कामयाब रहा।
चीन की अर्थव्यवस्था में आएगी स्थिरता
- मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है।
- चीन पर कर्ज उसकी कुल जीडीपी (डेट टू जीडीपी रेशियो) के अनुपात में 150 फीसदी से बढ़कर 250 फीसदी तक पहुंच गया है।
- हालांकि हांगकांग के सिटिक बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट लियाओ कुन ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था स्थिरता की ओर बढ़ रही है। चीन के सर्विस सेक्टर ने काफी हद तक इकोनॉमी को संभालने की कोशिश की है।
तस्वीरों में देखिए चीन का यह स्पेशल प्लेन…
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आगे क्या है अनुमान
- संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में चीन की आर्थिक वृद्धि दर वर्ष 2017 व 2018 में 6.5% पर स्थिर रहने का अनुमान लगाया गया है।
आगे कैसी रहेगी इमर्जिंग मार्केट की चाल
- पिछले 15 साल के मुकाबले इमर्जिंग मार्केट्स का वेटेज कम दिख रहा है।
- उसकी वजह यह है कि विदेशी निवेशक यहां से पैसा निकालकर डिवेलप्ड और अमेरिकी मार्केट में लगा रहे हैं।
- हालांकि, इमर्जिंग मार्केट्स में भारत का वेटेज कम है। इसलिए आगे चलकर इसमें बढ़ोतरी होगी।
- मैन्युफैक्चरिंग और ग्रोथ से पैसा बनाने के लिए ज्यादातर विदेशी निवेशक इमर्जिंग मार्केट्स में निवेश करते हैं। कई एशियाई देशों में विदेशी निवेशकों को यह मौका मिल रहा है।
- हालांकि, अगर इन देशों में अब मैन्युफैक्चरिंग और ग्रोथ कमजोर पड़ रही है। वहीं, भारत की ग्रोथ अब भी काफी अच्छी बनी हुई है। भारत में सर्विस सेक्टर बहुत बड़ा है। इस मामले में यह दूसरे एशियाई देशों से अलग है।
- इसलिए विदेशी निवेशकों को भारत में सर्विस सेक्टर में निवेश का भी मौका मिलता है। कोई दूसरा एशियाई देश इस मामले में भारत की बराबरी नहीं कर सकता।