नई दिल्ली। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में मंदी गहराती जा रही है। चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट 2015 में 6.9 फीसदी रही, जो कि 25 साल में सबसे कम है। 1990 में चीन की जीडीपी रेट 3.8 फीसदी रही थी। चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक तिमाही आधार पर भी चीन की ग्रोथ रेट घटी है। जुलाई-सितंबर 2015 तिमाही में चीन की जीडीपी ग्रोथ 6.9 और अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 6.8 फीसदी दर्ज की गई। जबकि वहां की सरकार ने 2015 में जीडीपी रेट 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। चीन की इकोनॉमी में बीते दो साल से मंदी वैश्विक निवेशकों के लिए चिंता की वजह बन गई है।
इसलिए आई चीन में आर्थिक सुस्ती
चीन में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की रफ्तार धीमी पड़ती जा रही है। दिसंबर में चीन का इंडस्ट्रियल आउटपुट 5.9 फीसदी था, जबकि उम्मीद 6 फीसदी की थी। वहीं, चीन के स्टॉक मार्केट में भी लगातार गिरावट का रुख है। 2015 में चीन के स्टॉक मार्केट अपने ऊपरी स्तर से 50 फीसदी टूट चुके हैं। अभी वह एक साल के निचले स्तर पर हैं। इसके कारण फॉरेन इन्वेस्टर चीन से लगातार पैसा निकाल रहे हैं। बीते छह महीनों में चीन की इकोनॉमी से करीब 600 अरब डॉलर की निकासी हो चुकी है।
चीन की अर्थव्यवस्था में आएगी स्थिरता
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। चीन पर कर्ज उसकी कुल जीडीपी (डेट टू जीडीपी रेशियो) के अनुपात में 150 फीसदी से बढ़कर 250 फीसदी तक पहुंच गया है। हालांकि हांगकांग के सिटिक बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट लियाओ कुन ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था स्थिरता की ओर बढ़ रही है। चीन के सर्विस सेक्टर ने काफी हद तक इकोनॉमी को संभालने की कोशिश की है।