कोलंबो। श्रीलंका ने सोमवार को 50 करोड़ डॉलर के कर्ज को लेकर चीन के सरकारी चाइना डेवलपमेंट बैंक के साथ समझौता किया। इसका मकसद महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बीच देश की वित्तीय स्थिरता को बनाये रखना है। उल्लेखनीय है कि पिछले महीने श्रीलंका ने चीन के साथ 1.5 अरब डॉलर की मुद्रा का अदला-बदली समझौता किया था। बीजिंग में श्रीलंकाई दूतावास ने एक बयान में कहा, ‘‘चीन एक वफादार दोस्त है और हमारी मजबूत दोस्ती को प्रतिबिंबित करते हुए उदारतापूर्वक कठिन चुनौतियों के समय श्रीलंका के लिए अपनी मदद का हाथ बढ़ा रहा है।’’
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बयान के अनुसार, ‘‘50 करोड़ डॉलर का कर्ज एक अरब डॉलर ऋण (पूर्व में किये गये समझौते के तहत) का हिस्सा है। इसमें से 50 करोड़ डॉलर पिछले साल जारी किये जा चुके हैं।’’ इसमें कहा गया है कि इस कर्ज से कोविड-19 चुनौतियों के बीच श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा का बहुप्रतीक्षित प्रवाह होगा। विशेषज्ञों के अनुसार श्रीलंका को यह कर्ज ऐसे समय समय दिया गया जब देश का विदेशी मुद्रा भंडार मार्च 2021 में घटकर 4.05 अरब डॉलर तक आ गया था। यह मुद्रा भंडार 2008-09 के मुद्रा संकट के बाद सबसे कम था।
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पैसे पैसे को मोहताज है पाकिस्तान
हमारे पड़ोसी पाकिस्तान की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। अरबों डॉलर के कर्ज के बाद भी देश में महंगाई चरम पर है। अपने कर्जों को उतारने के लिए भी पाकिस्तान को और कर्ज लेना पड़ रहा है। हाल ही में पाकिस्तान की तमाम मिन्नतों के बाद आईएमएफ ने पाकिस्तान को 50 करोड़ डॉलर का कर्ज मंजूर किया है। पैसे की भारी कमी से जूझ रहा पाकिस्तान विदेशी संस्थाओं से लगातार कर्ज लेता जा रहा है। पिछले तीन दिनों के अंदर पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक से करीब 130 अरब रुपये का लोन लिया है। वहीं इसके बाद आईएमएफ ने पाकिस्तान को 500 मिलियन डॉलर (36,22,37,00,000 रुपये) का कर्ज देने का ऐलान किया था। साथ ही पाकिस्तान और विश्वबैंक के बीच 1.3 बिलियन डॉलर के नए कर्ज पर सहमति बनी है। पहले से ही हर पाकिस्तानी नागरिक के ऊपर 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ है