नई दिल्ली| कर्ज में बुरी तरफ फंसे पाकिस्तान को चीन की तरफ से एक नया झटका लगा है। दरअसल पाकिस्तान में चीन ने अपना निवेश कम करना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान में आशंका ये जताई जा रही है कि गैर सीपीईसी प्रोजेक्ट के लिए नए निवेश की संभावनाएं काफी कम हैं, ऐसे में इन प्रोजेक्ट में मुश्किल खड़ी हो सकती है। ये आशंका पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र डॉन ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के आंकड़ों के आधार दी एक रिपोर्ट में जताई हैं। खास बात ये है कि निवेश घटाने के साथ साथ चीन स्थित समाचारपत्र ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में भी पाकिस्तान पर बढ़ते बोझ की बात कही गई है।
कितना गिरा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2020-21 में जुलाई से दिसंबर तक की पहली छमाही में एफडीआई का प्रवाह पिछले वर्ष की इसी अवधि में 1.36 अरब डॉलर की तुलना में लगभग 29.8 प्रतिशत की तेज गिरावट के साथ 95.26 लाख डॉलर रह गया है। वहीं सिर्फ दिसंबर 2020 में एफडीआई 61 प्रतिशत गिरा है। पाकिस्तान में एफडीआई के जरिए चीन सबसे ज्यादा निवेश करता है, जिसमें चीन का 60 अरब डॉलर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) भी शामिल है। डॉन अखबार की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में अब चीनी निवेश धीमा हो रहा है। यह ऐसे समय में हो रहा है, जब पाकिस्तान विदेशी कर्ज के भुगतान से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहा है और उसे इस समय विदेशी निवेश की सख्त जरूरत है।
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क्या होगा पाकिस्तान पर असर
अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने और कर्ज भुगतान के लिए पाकिस्तान को पैसों की काफी आवश्यकता है। चीन से निवेश घटने से पाकिस्तान की स्थिति और बिगड़ सकती है क्योंकि निवेश में सबसे बड़ी हिस्सेदारी चीन की है। ऐसे में पाकिस्तान चीन की कड़ी शर्तों को मानने के लिए बाध्य हो सकता है। जैसा की कई अन्य देशों देखने को मिला है जहां कर्ज चुकाने में मुश्किल होने पर चीन ने प्रोजेक्ट्स पर ही कब्जा कर लिया।
क्यों आई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान कभी भी विदेशी निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य नहीं रहा है। वहीं चीन का जोर सीपीईसी पर था और सीपीईसी से संबंधित शुरुआती योजनाओं के पूरा होने के बाद से चीन का निवेश काफी धीमा हो गया है। निकट भविष्य में मध्यम अवधि के लिए नए गैर-सीपीईसी परियोजनाओं के लिए एफडीआई की संभावनाएं इस समय बहुत कम हैं। आमतौर पर पाकिस्तान अपनी घरेलू उथल-पुथल के साथ सुरक्षा की दृष्टि से भी एक अच्छा एफडीआई गंतव्य नहीं माना जाता है, ऐसे में रिटर्न को लेकर आशंकाएं ज्यादा होने से चीन पाकिस्तान में दूसरे प्रोजेक्ट्स से दूरियां बना रहा है।
चीन ने बढ़ाया पाकिस्तान पर कर्ज बोझ
सीपीईसी परियोजना और चीन के अन्य कर्जो ने भी पाकिस्तान की कर्ज समस्या को बढ़ा दिया है। पाकिस्तान का जीडीपी अनुपात में कर्ज भी 107 प्रतिशत हो गया है, जिससे कई अर्थशास्त्रियों को विश्वास हो गया है कि देश कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है। स्वाभाविक रूप से, जीडीपी अनुपात में ऋण जितना अधिक होता है, डिफॉल्ट रूप से उतना ही अधिक जोखिम होता है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने उल्लेख किया कि जब इमरान खान ने कार्यभार संभाला था, तब पाकिस्तान का कर्ज 24.2 खरब रुपये के करीब था और इस लिहाज से इससे पहले की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार ने सार्वजनिक ऋण में एक दिन में 5.65 अरब रुपये जोड़े हैं। समाचारपत्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सत्ता में आने के बाद से प्रतिदिन सार्वजनिक ऋण में औसतन 13.2 अरब रुपयों का उछाल आया है।