नई दिल्ली। चीन ने दो साल के अंतराल के बाद भारतीय चावल का आयात शुरू किया है। चीन के इस कदम को भारत के साथ अपने कड़वे हुए रिश्तों को बेहतर बनाने की दिशा में देखा जा रहा है। भारतीय निर्यातकों की ओर से दूसरे देशों की तुलना में प्रतिस्पर्धी दाम की पेशकश के बाद इस पड़ोसी देश ने 5,000 टन गैर-बासमती चावल के आयात का ऑर्डर दिया है। अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ (एआईआरईए) ने यह जानकारी दी है।
भारत दुनिया में चावल का प्रमुख निर्यातक देश है, जबकि चीन सबसे बड़ा आयातक देश है। वर्ष 2006 में, चीन को भारतीय चावल के लिए बाजार पहुंच प्रदान की गई थी, लेकिन उसकी तरफ से आयात वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान ही हो पाया। चीन ऐसे समय भारत से चावल की खरीद कर रहा है, जब दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति है। एआईआरईए के कार्यकारी निदेशक विनोद कौल ने कहा कि हालांकि वर्ष 2006 में बाजार पहुंच दी गई थी, लेकिन चीन ने वित्त वर्ष 2017-18 में लगभग 974 टन गैर-बासमती चावल का आयात किया। अब दो वर्षो के अंतराल के बाद हमसे आयात के लिए पूछताछ शुरू हुई है।
थाईलैंड और वियतनाम में उत्पादन घटा
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में अक्टूबर तक 150 टन तक बासमती चावल का निर्यात किया गया है। पिछले दो महीनों में, चीन ने दक्षिण भारत से लगभग 5,000 टन टुकड़े वाले गैर-बासमती चावल के आयात के लिए ऑर्डर दिए हैं। टूटे चावल का उपयोग नूडल्स के साथ-साथ वाइन उद्योग में भी किया जाता है। कौल ने कहा कि चीन ने भारत से चावल खरीदने में दिलचस्पी दिखाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह इसलिए है क्योंकि पड़ोसी देश थाईलैंड और वियतनाम जैसे अपने अन्य आयात स्थलों पर कोविड-19 के मद्देनजर उत्पादन और व्यापार के प्रभावित होने की वजह से सीमित आपूर्ति की स्थिति का सामना कर रहा है।
28 लाख टन बासमती चावल का हुआ निर्यात
इसके अलावा, भारत मौजूदा समय में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में प्रतिस्पर्धी कीमतों की पेशकश कर रहा है। एआईआरईए के अनुसार, भारत ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि में 28 लाख टन बासमती चावल और 61 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया है। वित्तवर्ष 2019-20 में, कुल बासमती चावल का निर्यात रिकॉर्ड 40 लाख टन और गैर-बासमती चावल का निर्यात 50 लाख टन का हुआ था।