ओसाका। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि चीन के उनके समकक्ष शी चिनफिंग के साथ शनिवार को हुई 'उत्साहवर्धक' मुलाकात के बाद चीन के साथ व्यापार मुद्दों को लेकर बातचीत फिर से पटरी पर लौट आई है। समझा जाता है कि वाशिंगटन ने नई शुल्क दरों को अमल में लाने को फिलहाल स्थगित रखने पर सहमति जताई है। दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के प्रमुखों के बीच यह बातचीत यहां जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अलग से हुई। पूरी दुनिया की निगाहें इस मुलाकात पर थीं।
चीन की सरकारी मीडिया की खबरों के अनुसार अमेरिका चीन के निर्यात पर नया शुल्क नहीं लगाने के लिए राजी हो गया है। आधिकारिक समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' ने कहा कि दोनों देश 'समानता एवं आपसी सम्मान के आधार पर' दोबारा वार्ता शुरू करेंगे। जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर शनिवार को दोनों राष्ट्रपति ओसाका में मिले थे ।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने जी20 शिखर सम्मेलन के बाद बातचीत में कहा, 'चीनी राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के साथ हमारी के अच्छी बैठक हुई है। उन्होंने कहा कि मैं कहूंगा कि यह बैठक 'अति उत्तम' रही। बातचीत फिर से पटरी पर लौट आई है। हमें विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की और अब हम ट्रैक पर दोबारा आ रहे हैं। हालांकि, ट्रंप ने बातचीत के बारे में अधिक ब्योरा नहीं दिया। बता दें कि दोनों देशों के बीच इस साल की शुरुआत से ही ट्रेड वॉर चल रहा है।
वाशिंगटन ने इस बात को लेकर प्रतिबद्धता जताई है कि वह बीजिंग के निर्यात पर कोई नया शुल्क नहीं लगायेगा और दोनों पक्ष व्यापार मुद्दों को लेकर बातचीत फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं। अमेरिका और चीन के बीच बातचीत का यह परिणाम काफी सकारात्मक देखा जा रहा है। विशेषज्ञ बातचीत को लेकर काफी सतर्क थे। उनका मानना था कि मुलाकात में कोई पूरा समझौता होना मुश्किल है लेकिन एक-दूसरे के निर्यात पर शुल्क लगाने की कार्रवाई पर रोक लग सकती है। यह सकारात्मक कदम होगा।
हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए जापान पहुंचने के बाद से ही उनका मिजाज बदला हुआ था। हालांकि, इससे पहले ओसाका, जापान के लिये रवाना होने से पहले उनके तेवर काफी तीखे थे। जापान पहुंचने के बाद उन्होंने कहा कि वह चीन के साथ ऐतिहासिक समझौता करने के लिये तैयार हैं। शी ने इस दौरान कहा कि टकराव के बजाय बातचीत बेहतर रास्ता है। फिलहाल दोनों नेताओं के बीच बातचीत का ज्यादा ब्योरा उपलब्ध नहीं हुआ है।
उल्लेखनीय है कि वाशिंगटन ने सुरक्षा चिंताओं को लेकर दिग्गज चीनी दूरसंचार कंपनी हुवावेई पर बैन लगा दिया है। हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई टिप्पणी नहीं आई है। चीन चाहता है कि व्यापार मुद्दों में बनने वाली सहमति के तहत इस कंपनी से भी प्रतिबंध उठाया जाना चाहिये। अमेरिका ने हुवावे पर चीनी सरकार के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया है। दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद के बीच अमेरिका ने चीनी सामान पर टैरिफ 10 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया है। जिसके बाद चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगा दिया। चीन चाहता है कि व्यापार मुद्दों में बनने वाली सहमति के तहत इस कंपनी से भी प्रतिबंध उठाया जाना चाहिये।