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Cheque & Mate: चेक बाउंस से परेशान 18 लाख लोगों को राहत, अब क्लियरेंस की जगह ही दर्ज होगा केस

चेक बाउंस होने से परेशान लाखों लोगों को बड़ी राहत मिल गई है। अब चेक बाउंस का केस उसी जगह दायर करना संभव होगा, जहां क्‍लीयरेंस के लिए चेक जमा किया जाता है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated : December 08, 2015 13:42 IST
Cheque & Mate: चेक बाउंस से परेशान 18 लाख लोगों को राहत, अब क्लियरेंस की जगह ही दर्ज होगा केस
Cheque & Mate: चेक बाउंस से परेशान 18 लाख लोगों को राहत, अब क्लियरेंस की जगह ही दर्ज होगा केस

नई दिल्‍ली। चेक बाउंस होने से परेशान लाखों लोगों को बड़ी राहत मिल गई है। अब चेक बाउंस के मामलों में केस उसी जगह पर दायर करना संभव होगा, जहां क्‍लीयरेंस के लिए चेक जमा किया जाता है, न कि उस जगह पर जहां से यह जारी किया गया होता है। फिलहाल देश में चेक बाउंस से जुड़े 18 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। इन्‍हें इस बदलाव का फायदा मिलेगा। लोगों की मुश्किलों को हल करने के लिए सोमवार को राज्‍य सभा ने नेगोशिएबल इंस्‍ट्रूमेंट (अमेंडमेंट) बिल 2015 पर अपनी मुहर लगा दी। लोक सभा पहले ही इस बिल को मंजूरी दे चुकी है।

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जानिए क्‍या होता है Cheque नंबर्स का मतलब

Cheque numbers

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जल्‍द निपटेंगे चेक बाउंस के मामले

मौजूदा नियमों के अनुसार जहां से चैक जारी होता है, चेक बाउंस का मामला भी उसी शहर में चलता है। इस नियम के चलते चेक बाउंस के चलते आर्थिक नुकसान झेल रहे व्‍यक्ति को चेक जारी करने वाले व्‍यक्ति के शहर में जाकर केस दर्ज करना पड़ता था। इससे धन और समय दोनों नष्‍ट होता है। इस कानूनी अड़चन के चलते देश की विभिन्‍न अदालतों में चेक बाउंस से जुड़े 18 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। इन केस से जुड़े लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। गौरतलब है कि 1881 में ब्रिटिश शासन में इस कानून को तैयार किया गया था। लेकिन आजादी के बाद भी इसमें काफी कम बदलाव हुए और कुल मिलाकर अभी तक यह लगभग जस की तस बना रहा है।

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संसद ने बदला सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

संसद द्वारा पेश किया गया निगोशिएबल इंस्‍ट्रूमेंट बिल से पहले सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में अपना फैसला सुना चुका है। लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का पक्ष एकदम विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि चेक मिलने के बाद अगर वह बाउंस हो जाता है तो चेक जारी करने वाले व्‍यक्ति के खिलाफ अदालती कार्यवाही शुरू करने का अधिकार क्षेत्र उस राज्‍य को होना चाहिए, जहां से चेक जारी किया जाता है। लेकिन संसद ने इस मामले में पीडित का पक्ष लेते हुए अहम बदलाव कर दिए हैं।

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