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Cheque and Mate: चेक बाउंस से जुड़ा नया नियम लागू, अब क्लियरेंस की जगह पर ही दर्ज होंगे केस

अब चेक बाउंस के मामलों में केस उसी जगह पर दायर करना संभव होगा, जहां क्‍लीयरेंस के लिए चेक जमा किया जाता है, न कि उस जगह पर जहां से यह जारी किया गया होता है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: January 06, 2016 14:24 IST
Cheque and Mate: चेक बाउंस से जुड़ा नया नियम लागू, अब क्लियरेंस की जगह पर ही दर्ज होंगे केस- India TV Paisa
Cheque and Mate: चेक बाउंस से जुड़ा नया नियम लागू, अब क्लियरेंस की जगह पर ही दर्ज होंगे केस

नयी दिल्ली। चेक बाउंस होने से परेशान लाखों लोगों को बड़ी राहत मिल गई है। अब चेक बाउंस के मामलों में केस उसी जगह पर दायर करना संभव होगा, जहां क्‍लीयरेंस के लिए चेक जमा किया जाता है, न कि उस जगह पर जहां से यह जारी किया गया होता है। सरकार ने चेक बाउंस के मामलों से निपटने के नये नियम लागू कर दिये हैं। फिलहाल देश में चेक बाउंस से जुड़े 18 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। इन्‍हें इस बदलाव का फायदा मिलेगा। लोगों की मुश्किलों को हल करने के लिए दिसंबर में राज्‍य सभा ने नेगोशिएबल इंस्‍ट्रूमेंट (अमेंडमेंट) बिल 2015 पर अपनी मुहर लगाई थी। लोक सभा पहले ही इस बिल को मंजूरी दे चुकी है।

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जानिए क्‍या होता है Cheque नंबर्स का मतलब

Cheque numbers

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15 जून 2015 से लागू होंगे प्रावधान

वित्त मंत्रालय ने कहा है, नेगोशिएबल इंस्‍ट्रूमेंट (अमेंडमेंट) बिल 2015 के प्रावधान 15 जून 2015 से लागू माने जायेंगे, इसी दिन इस संबंध में अध्यादेश जारी किया गया था, जिसमें नेगोशिएबल इंस्‍ट्रूमेंट बिल 1881 को आगे और संशोधित किया गया था। देशभर में चेक बाउंस के करीब 18 लाख मामले लंबित हैं जिनमें से करीब 38 हजार मामले उच्च न्यायालयों में लंबित हैं। इनमें जहां चेक से राशि प्राप्त नहीं हो पाई इनसे जुड़े लोगों को चेक जारी करने वाले स्थान तक पहुंचने के लिये काफी दूर यात्रा करनी पड़ती है।

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संसद ने बदला सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

संसद द्वारा पेश किया गया निगोशिएबल इंस्‍ट्रूमेंट बिल से पहले सुप्रीम कोर्ट भी इस संबंध में अपना फैसला सुना चुका है। लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का पक्ष एकदम विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि चेक मिलने के बाद अगर वह बाउंस हो जाता है तो चेक जारी करने वाले व्‍यक्ति के खिलाफ अदालती कार्यवाही शुरू करने का अधिकार क्षेत्र उस राज्‍य को होना चाहिए, जहां से चेक जारी किया जाता है। लेकिन संसद ने इस मामले में पीडित का पक्ष लेते हुए अहम बदलाव कर दिए हैं।

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