मुंबई। बैंकों पर बढ़ते एनपीए के बोझ और नीरव मोदी और माल्या जैसे डिफॉल्टर्स पर तेज होती कार्रवाई के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुड डिफॉल्टर्स और बैड डिफॉल्टर्स के बीच अंतर रखने की बात कही। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि कर्ज लौटाने में लेट लतीफी करने वाले हर एक उद्यमी के खिलाफ यदि कार्रवाई हुई तो आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और देश में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं बचेगा जो कारोबारी जोखिम लेने का इच्छुक होगा।
मंत्री ने कहा कि कर्ज नहीं लौटाने के मामले में नेकनीयत और बदनीयत रखने वालों के बीच अंतर की जरूरत है। व्यापार चक्र या वैश्विक स्थिति जैसे बाह्य कारणों पर गौर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कर्ज लौटाने में हर चूककर्ता के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। उद्यमियों के फलने - फूलने के लिये सही निर्णय को समर्थन करना चाहिए।
बुलढ़ाना अर्बन कोअपरेटिव बैंक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गडकरी ने कहा , ‘‘ अगर हम ऐसे लोगों का संरक्षण और प्रोत्साहन नहीं कर सकते तो फिर हमें ऐसे लोग नहीं मिलेंगे जो पहल कर सके। अगर उद्यमिता खत्म होती है तो पूंजी निवेश कहां से आएगा ? इससे अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। ’’
गडकरी ने यह बात बैंकरों के साथ कुछ दिन पहले हुई मुलाकात के बाद कही है। बैंकरों के साथ मुलाकात में उन्होंने अटकी पड़ी कुछ परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सही नीयत रखने वाली कंपनियों को पूंजी उपलब्ध कराने की जरूरत है चाहे उनका खाता एनपीए ही क्यों नहीं हो गया।