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ICICI के मुनाफे में 50% गिरावट के बाद चंदा कोचर ने कहा, अब नई स्‍ट्रैटजी पर काम करेगा बैंक

पिछले कुछ दिनों से मुश्किलों में फंसे ICICI बैंक को सोमवार को उसके चौथी तिमाही के नतीजों ने एक नया झटका दिया है। 31 मार्च 2018 को खत्म हुई तिमाही में मुनाफे में 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की है।

Written by: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: May 08, 2018 10:37 IST
Chanda Kochchar- India TV Paisa

Chanda Kochchar

नई दिल्‍ली। पिछले कुछ दिनों से मुश्किलों में फंसे ICICI बैंक को सोमवार को उसके चौथी तिमाही के नतीजों ने एक नया झटका दिया है। 31 मार्च 2018 को खत्म हुई तिमाही में मुनाफे में 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की है। इससे बैंक के निवेशकों के साथ बैंक प्रबंधन भी सकते में है। खराब तिमाही नतीजों के बाद आईसीआईसीआई बैंक ने सोमवार को कहा कि उसने वृद्धि दर वापस पाने के लिए "संरक्षित, परिवर्तन और विकास" रणनीति को लागू करने की योजना बना रही है। बैंक की मैनेजिंग डायरेक्‍टर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर ने कहा कि नई नीति में खुदरा कर्ज पोर्टफोलियो, समन्वय और तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के समाधान पर ध्यान दिया जाएगा। सुबह के कारोबार में बैंक का शेयर 7 फीसदी तक उछल गया। 

कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक के तिमाही और वित्तीय नतीजों की घोषणा के बाद एक प्रेस वार्ता में कहा, "आगे आईसीआईसीआई बैंक की रणनीति 'संरक्षित, परिवर्तन और विकास' के इर्द-गिर्द होगी।" उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी की मंगलवार को होनेवाली निदेशक मंडल की बैठक 'सामान्य' होगी और इसमें चालू वित्त वर्ष के बजट और रणनीति पर विचार किया जाएगा।

आईसीआईसीआई बैंक के मुनाफे में वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में 49.63 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। बैंक के मुताबिक, समीक्षाधीन तिमाही में उसका मुनाफा 1,020 करोड़ रुपये रहा, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में यह 2,025 करोड़ रुपये रहा। हालांकि इस दौरान आईसीआईसीआई बैंक की ब्याज आय में मामूली तेजी दर्ज की गई और 31 मार्च, 2018 को खत्म तिमाही में यह 6,022 करोड़ रुपये रही, जबकि 31 मार्च, 2017 को खत्म हुई तिमाही में यह 5,962 करोड़ रुपये थी।

आईसीआईसीआई द्वारा बंबई स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल रिपोर्ट के मुताबिक, 15,737 करोड़ रुपये की सकल फंसे हुए कर्जे (एनपीए या गैर-निष्पादित संपत्तियां) के अतिरिक्त, इसमें 9,968 करोड़ रुपये का कर्ज भी शामिल है, जो आरबीआई योजनाओं के तहत थे और 2017 के 31 दिसंबर को मानक के रूप में वर्गीकृत किए गए थे। वहीं, वित्त वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में कुल 4,234 करोड़ रुपये के कर्ज की वसूली हो पाई।

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