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जीएम सरसों की कमर्शियल खेती के खिलाफ सरकार, मंजूरी नहीं देने का किया अनुरोध

कोलिशन फॉर ए जीएम-फ्री इंडिया सहित नागरिक समूहों ने सरकार से जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की कमर्शियल खेती की अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया है।

Dharmender Chaudhary
Updated : November 08, 2015 10:28 IST
जीएम सरसों की कमर्शियल खेती के खिलाफ सरकार, मंजूरी नहीं देने का किया अनुरोध
जीएम सरसों की कमर्शियल खेती के खिलाफ सरकार, मंजूरी नहीं देने का किया अनुरोध

नई दिल्ली। कोलिशन फॉर ए जीएम-फ्री इंडिया सहित नागरिक समूहों ने सरकार से जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) सरसों की कमर्शियल खेती की अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया क्योंकि इससे जैव सुरक्षा और स्वास्थ्य को नुकसान होगा। जीएम फसल के खिलाफ विरोध बढ़ रहा है। दरअसल ऐसी रिपोर्ट आई हैं कि जीईएसी, दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर जेनेटिक मैन्युपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स (सीजीएमसीपी) के वैग्यानिकों द्वारा दाखिल आवेदन पर विचार कर सकता है।

सीजीएमसीपी के वैग्यानिकों ने जीएम सरसों की कमर्शियल खेती की अनुमति मांगी है। केन्द्र ने अभी तक बी टी कपास की कमर्शियल खेती को मंजूरी दी है, लेकिन गैर सरकार संगठनों द्वारा उठाई गई चिंताओं के चलते फरवरी, 2010 में बी टी बैंगन को जारी करने पर रोक लगा दी।

संवाददाताओं से बातचीत में एनजीओ-कोलिशन फॉर ए जीएम-फ्री इंडिया की कविता कुरगंथी ने कहा, नियामकीय निकाय जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) अपने काम में निरंतर अस्पष्ट और गैर पारदर्शी बना हुआ है। ऐसी आशंका है कि जीईएसी बिना आकलन किए जीएम सरसों को मंजूरी दे सकता है। उन्होंने कहा कि जीएम सरसों को मंजूरी देने से पारंपरिक किस्में खतरे में पड़ जाएंगी और किसान इस तरह के बीजों के लिए पूरी तरह से निजी कंपनियों पर आश्रित हो जाएंगे।

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