नई दिल्ली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए अर्थव्यवस्था को तीन लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता चाहिए। अर्थशास्त्रियों ने कहा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पिछले महीने घोषित 1.75 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में सिर्फ 73,000 करोड़ रुपये की नई घोषणाएं हैं क्योंकि बाकी का पहले ही बजट में प्रावधान किया जा चुका था। उन्होंने कहा कि इस समय प्रभावित उद्योगों के लिए एक बड़े राहत पैकेज की जरूरत है। कोविड-19 महामारी के कारण पहले ही सुस्त अर्थव्यवस्था में और गिरावट की आशंका है। इस महामारी के चलते 25 मार्च को 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। कुछ एनालिस्ट का मानना है कि इसके चलते चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर घटकर दो प्रतिशत रह जाएगी।
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने अपनी टिप्पणी में कहा कि संकट से लगभग 3.60 लाख करोड़ रुपये के श्रम और पूंजीगत आय के नुकसान को देखते हुए पहले चरण में 73,000 करोड़ रुपये की सहायता के अतिरिक्त तीन लाख करोड़ रुपये तक और राहत की जरूरत होगी। टिप्पणी में कहा गया है कि बैंकिंग प्रणाली का 98 प्रतिशत बकाया कर्ज देश के उन 284 जिलों से हैं, जो कोविड-19 से प्रभावित हैं और इसलिए बैंकिंग क्षेत्र पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
दूसरे संस्थानों की रिपोर्ट की तरह देश के सबसे बड़े बैंक के अर्थशास्त्रियों ने भी एनबीएफसी क्षेत्र को कुछ राहत देने की सिफारिश की है, जिन्हें किस्तों को तीन महीने तक टालने के लिए प्रस्तावित योजना में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर स्थिति बिगड़ती है तो इन संस्थाओं की पूंजी खत्म हो सकती है। इस तरह होटल, व्यापार, शिक्षा, पेट्रोलियम और कृषि क्षेत्रों पर ध्यान देने की बात भी कही गई है।