नयी दिल्ली। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने आज राज्यों से उन कंपनियों की संपत्तियों की पहचान का काम जल्द से जल्द पूरा करने को कहा है, जिनका पंजीकरण रद्द किया जा चुका है। इसके अलावा जिला प्रशासनों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि वे इन कंपनियों की संपत्तियों की बिक्री नहीं होने दें।
कालेधन के खिलाफ अपनी लड़ाई को तेज करते हुए मंत्रालय ने राज्यों से यह भी कहा है कि यदि इन कंपनियों की संपत्तियों का लेनदेन हो जाता है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। करीब 2.25 लाख ऐसी कंपनियां जो लंबे समय से कारोबारी गतिविधियां नहीं कर रही थीं। इनका नाम आधिकारिक रिकॉर्ड से हटा दिया गया है। इन कंपनियों से जुड़े कई निदेशकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है।
इसी परिप्रेक्ष्य में कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने आज विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में पंजीकरण रद्द वाली 2.09 लाख कंपनियों से जुड़ी संपत्तियों के संदर्भ में हुई कार्वाई पर विचार विमर्श किया गया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार बैठक में चौधरी ने राज्यों के प्रतिनिधियों से इन कंपनियों की संपत्तियों की पहचान का काम तेजी से पूरा करने को कहा।