नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि केंद्र सरकार किसानों का कर्ज माफ करने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। पंजाब में राज्य सरकार की ओर से करीब 10 लाख किसानों के कर्ज माफ किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी की घोषणा के एक दिन बाद उन्होंने यह बात कही।
पूर्व राजस्व सचिव एनके सिंह की अध्यक्षता वाली एफआरबीएम समिति ने मार्च 2020 तक बजटीय घाटा 3 प्रतिशत पर सीमित करने की सिफारिश की है। समिति ने 2022-23 तक इसे घटाकर 2.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इस रबी मौसम में फसल की बंपर पैदावार से घरेलू बाजार के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमतों में गिरावट के कारण कई राज्यों में किसान संकट में है।
देश के विभिन्न भागों में किसान अपनी उपज का अधिक समर्थन मूल्य के साथ-साथ कर्ज माफी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश में किसानों ने कर्ज माफी को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में ऋण माफी की घोषणा के मद्देनजर केंद्र सरकार का यह रुख महत्वपूर्ण है।
इससे पहले, 12 जून को जेटली ने कहा था कि केंद्र राज्यों को कर्ज माफी के लिए सहायता नहीं देगा और अगर वे ऋण माफ करते हैं तो उसके लिए धन की व्यवस्था उन्हें अपने कोष से करनी होगी।