नई दिल्ली। सरकार ने प्वॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन के जरिये यूरिया बेचने वाले डीलरों का कमीशन बढ़ाकर 354 रुपए प्रति टन कर दिया है, जो वर्तमान कमीशन से करीब दो गुना के बराबर है। इससे सरकारी खजाने पर प्रति वर्ष 515.16 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा।
रसायन एवं ऊर्वरक मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह निर्णय पहली अपैल से लागू हो जाएगा तथा इससे निजी और संस्थागत दोनों तरह के डीलरों को फायदा होगा। सरकार को उम्मीद है कि इस कदम से इस ऊर्वरक छूट को ग्राहकों के खाते में सीधे हस्तांतरित करने की ‘प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना’ को सहजता से लागू कराने में मदद मिलेगी। इस समय यूरिया की बिक्री करने वाली निजी एवं सहकारी एजेंसियों को प्रति टन 180 रुपए तथा संस्थागत एजेंसियों को प्रति टन 200 रुपए का कमीशन मिलता है।
बयान में कहा गया है कि सरकार ने पीओएस मशीन के जरिये यूरिया की बिक्री पर सभी प्रकार के डीलरों के लिए कमीशन को संशोधित कर एक-समान 354 रुपए प्रति टन करने की मंजूरी दे दी है। बयान में कहा गया कि इसका भुगतान पीओएस मशीनों के जरिये की गई बिक्री के आधार पर किया जाएगा। प्रत्यक्ष लाभ-हस्तांतरण योजना के बाद डीलरों के काम को वित्तीय रुप से अधिक मजबूत बनाने के लिए कमीशन बढ़ाया गया है। इससे देश भर में लगभग 23 हजार डीलरों को फायदा होगा।
मंत्रालय ने अधिकांश राज्यों में पहले ही प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण लागू कर दिया है। यूरिया पर सरकार भारी छूट देती है और अभी इसका अधिकतम खुदरा मूल्य 5,360 रुपए प्रति टन है। सरकार किसानों को सस्ता ऊर्वरक मुहैया कराने के लिए प्रति वर्ष करीब 70 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देती है।