नई दिल्ली। केंद्र ने शुक्रवार को राजस्थान सहित प्याज की खेती करने वाले पांच राज्यों से आगामी खरीफ सत्र के दौरान इस फसल के रकबे में 9,900 हेक्टेयर की बढ़ोतरी करने को कहा, ताकि किसी भी मूल्य वृद्धि की स्थिति से बचा जा सके। खरीफ के सत्र में कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश प्रमुख प्याज उगाने वाले राज्य हैं, जबकि राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश गैर-पारंपरिक रूप से प्याज उगाने वाले राज्य हैं।
सरकार ने प्याज की नियमित रूप से बड़े पैमाने पर खेती नहीं करने वाले राज्यों से ही प्याज का उत्पादन बढ़ाने को कहा है। कृषि आयुक्त एस के मल्होत्रा ने राज्य सरकारों के साथ एक सम्मेलन में गैर-पारंपरिक राज्यों में खरीफ सत्र के दौरान प्याज का रकबा बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया।
इसके साथ ही उन्होंने फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के आगामी खरीफ सत्र के लिए एक रणनीति तैयार करने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि प्राकृतिक आपदाओं के कारण पारंपरिक प्याज उगाने वाले क्षेत्रों में उपलब्धता प्रभावित होती है, तो इससे मदद मिलेगी। उन्होंने पांच गैर-पारंपरिक प्याज उगाने वाले राज्यों को इस साल के खरीफ सत्र में प्याज का रकबा बढ़ाकर 51,000 हेक्टेयर करने के लिए कहा, जो इससे एक साल पहले की समान अवधि में 41,081 हेक्येटर था।
आठ बुनियादी उद्योगों के उत्पादन में मार्च में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि
देश में आठ बुनियादी उद्योगों के उत्पादन में इस साल मार्च में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। तुलनात्मक आधार कमजोर होने के बीच प्राकृतिक गैस, इस्पात, सीमेंट और बिजली उत्पादन में वृद्धि के साथ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर बढ़ी। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार आठ बुनियादी उद्योगों कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली की वृद्धि दर में पिछले साल इसी महीने यानी मार्च 2020 में 8.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार मार्च महीने में प्राकृतिक गैस, इस्पात, सीमेंट और बिजली उत्पादन में क्रमश: 12.3 प्रतिशत, 23 प्रतिशत, 32.5 प्रतिशत और 21.6 प्रतिशत का उछाल आया। वहीं पिछले साल इसी महीने में इनमें क्रमश: (-) 15.1 प्रतिशत, (-) 21.9 प्रतिशत, (-) 25.1 प्रतिशत और (-) 8.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी। कोयला, कच्चा तेल, रिफाइनरी उत्पाद और उर्वरकों के उत्पादन में इस दौरान गिरावट दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-मार्च) में आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन एक साल पहले इसी अवधि की तुलना में 7 प्रतिशत घटा। वर्ष 2019-20 की इसी अवधि में इनमें 0.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
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