नई दिल्ली। एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर यानी आईजीएसटी में लंबित 12,000 करोड़ रुपए की राशि को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बांटा गया है। अगस्त माह में लंबित आईजीएसटी की इस राशि में से 6,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार को मिलेंगे जबकि शेष राशि राज्यों के बीच उनके राजस्व संग्रह के अनुपात में बांटी जायेगी। एक अधिकारी ने पीटीआई- भाषा को यह जानकारी दी।
इस राशि के वितरण से केंद्र और राज्यों की अप्रत्यक्ष कर स्थिति में सुधार आयेगा। यह तीसरा मौका है जब आईजीएसटी की राशि को केंद्र और राज्यों के बीच बांटा गया। इससे पहले जून माह में 50,000 करोड़ रुपए की राशि केंद्र और राज्यों के बीच वितरित की गई। इससे पहले फरवरी में 35,000 करोड़ रुपए का बंटवारा किया गया।
अधिकारी ने कहा कि आईजीएसटी में जमा होने वाली राशि में धीरे-धीरे कमी आ रही है। इससे पता चलता है कि कारोबारी करों का भुगतान करने के लिये एकीकृत आईजीएसटी का उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही करों का समय पर भुगतान और रिटर्न फाइल होने से आईजीएसटी खाते में बची राशि कम हो रही है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में नीतिगत निर्णय लिया गया था कि आईजीएसटी खाते में जब भी काफी धन एकत्रित हो उसे बांट दिया जाना चाहिए ताकि केंद्र के पास राशि बेकार नहीं पड़ी रहे।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत माल अथवा सेवाओं की खरीदा पर कर 50:50 के अनुपात में केंद्र और राज्यों के बीच दो भागों में बांटा जाता है। एक हिस्सा केंद्रीय जीएसटी और दूसरा हिस्सा राज्य जीएसटी के रूप में लिया जाता है। इसके अलावा माल के अंतर-राज्यीय परिवहन अथवा आयात की स्थिति में एकीकृत जीएसटी यानी आईजीएसटी लिया जाता है। इसे केंद्र संग्रहित करता है। विलासिता और अहितकर वस्तुओं के मामले में जीएसटी के ऊपर उपकर भी लगाया जाता है।
व्यवस्था के तहत आईजीएसटी खाते में शून्य बकाया होना चाहिए। क्योंकि इसमें जो राशि आती है वह केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी के भुगतान के लिए होती है। कुछ कारोबार इनपुट कर क्रेडिट अथवा आईटीसी का दावा नहीं कर पाते हैं जिससे यह राशि आईजीएसटी खाते में पड़ी रहती है।
इस साल जुलाई माह में जीएसटी संग्रह बढ़कर 96,483 करोड़ रुपए हो गया। जून में यह 95,610 करोड़ रुपए, मई में 94,016 करोड़ और अप्रैल माह में 1.03 लाख करोड़ रुपए था। अगस्त के आंकड़े एक सितंबर को जारी होंगे।