नई दिल्ली। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के बैंक फ्रॉड की जांच के लिए एडवायजरी बोर्ड फॉर बैंक फ्रॉड्स (एबीबीएफ) बोर्ड का गठन किया है। पूर्व सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन को इस बोर्ड का प्रमुख बनाया गया है। यह बोर्ड जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई के लिए सिफारिश करेगा। यह नया बोर्ड पुराने एडवायजरी बोर्ड ऑफ बैंक, कॉमर्शियल एंड फाइनेंस फ्रॉड्स का स्थान लेगा।
RBI की सलाह के बाद किया गया गठन
सीवीसी की ओर से जारी बयान में रविवार को कहा गया कि एबीबीएफ बोर्ड का गठन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सलाह के बाद किया गया है। बयान में कहा गया है कि बड़े फ्रॉड के मामलों में यह बोर्ड पहले जांच करेगा। इसके बाद यह संबंधित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की जांच एजेंसी को अपनी सिफारिश करेगा।
आयोग ने कहा है कि चार सदस्यीय बोर्ड सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी में महाप्रबंधक और ऊपर के स्तर के अधिकारियों की संलिप्तता वाले मामलों की जांच करेगा। उसने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक 50 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के मामले को बोर्ड को भेजेंगे। बोर्ड की सिफारिश या सुझाव के बाद संबंधित बैंक मामले में आगे की कार्रवाई करेंगे। इसके अलावा बैंकों से जुड़े केसों तकनीकी दिक्कत या किसी अन्य परेशानी पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) भी ऐसे मामलों को बोर्ड को भेज सकेगी।
पूर्व सतर्कता आयुक्त टीएम भसीन के अलावा इस बोर्ड में पूर्व शहरी विकास सचिव मधुसूदन प्रसाद, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व डीजी डीके पाठक और आंध्रा बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक एवं सीईओ सुरेश एन पटेल को शामिल किया गया है। बयान के अनुसार, इस बोर्ड के चेयरमैन और अन्य सदस्यों का कार्यकाल दो साल का होगा जो 21 अगस्त 2019 से प्रभावी होगा। बोर्ड समय-समय पर फ्रॉड्स का विश्लेषण करेगा और इनकी रोकथाम के लिए आरबीआई को नियम कानून बनाने में मदद करेगा। आरबीआई के दिल्ली मुख्यालय में इस बोर्ड को लिपिकीय सेवाएं दी जाएंगी। इसके अलावा आरबीआई की ओर से लॉजिस्टिक, एनालिटिकल और वित्तीय सहायता भी बोर्ड को प्रदान की जाएगी।