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पेट्रोल और डीजल की कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद सरकार ने उत्पाद शुल्क घटाने से किया इनकार

सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर फिलहाल उत्पाद शुल्क कटौती से इनकार किया है। एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 10, 2018 19:13 IST
Petrol-Diesel Price- India TV Paisa

Petrol-Diesel Price

नई दिल्ली सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर फिलहाल उत्पाद शुल्क कटौती से इनकार किया है। एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही। उसका कहना है कि केंद्र और कुछ राज्य सरकारें इस तरह का कदम उठा कर उससे होने वाली संभावित राजस्व हानि को को वहन करने की स्थिति में अपने को नहीं पातीं। अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि उत्पाद शुल्क कटौती का केंद्र के राजकोषीय घाटे पर असर होगा जबकि बिहार, केरल और पंजाब जैसे कुछ राज्य हैं जो कि इन ईंधनों पर बिक्री कर अथवा वैट घटाने की स्थिति में नहीं हैं।

सरकार का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम आने वाले दिनों में कम होंगे। कच्चे तेल के दाम बढ़ने और डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर घटने की वजह से इन दिनों पेट्रोल, डीजल के दाम नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं।

सरकारी अधिकारी की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे समय की गई है जब कांग्रेस के नेतृत्व में तमाम विपक्षी दलों ने पेट्रोल-डीजल के आसमान छूते दाम के खिलाफ राष्ट्रव्यापी बंद का आयोजन किया है। दिल्ली में पेट्रोल के दाम इस समय 80.73 रुपए प्रति लीटर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच चुके हैं जबकि डीजल का दाम 72.83 रुपए प्रति लीटर की नई ऊंचाई पर पहुंच चुका है। यहां यह उल्लेखनीय है कि दिल्ली में पेट्रोल, डीजल के दाम देश के दूसरे महानगरों की तुलना में सबसे कम रहते हैं, क्योंकि दिल्ली में इन ईंधनों पर मूल्य वर्धित कर यानी वैट सबसे कम है।

अधिकारी ने कहा कि जो भी उपभोक्ता पेट्रोल, डीजल की खपत करते हैं उन्हें उसकी कीमत चुकानी चाहिए।

राजस्थान ने हालांकि, रविवार को पेट्रोल-डीजल पर वैट में चार प्रतिशत कटौती की घोषणा की है जबकि आंध्र प्रदेश ने सोमवार को बिक्री कर में कटौती कर इनके दाम में दो रुपए की कटौती की है।

अधिकारी ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर कर में कटौती से राजकोषीय घाटा बढ़ेगा। केंद्रीय स्तर पर राजकोषीय घाटे की स्थिति से ही बांड बाजार में रिटर्न का निर्धारण होता है। राजकोषीय घाटा बढ़ने से रुपया भी कमजोर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि करों में कटौती से आपको विकास कार्यों पर होने वाले खर्च में कटौती करनी पड़ेगी। कर कटौती का यह सबसे बड़ा खामियाजा होगा।

अधिकारी ने कहा कि इस मामले में राहत तभी दी जा सकती है जब सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत हो। राज्यों में इतनी क्षमता नहीं है कि वह कर दरें कम कर सकें। पेट्रोल-डीजल के करों में एक रुपया प्रति लीटर की कटौती से राजस्व में सालाना आधार पर 30,000 करोड़ रुपए की कमी आती है।

उन्होंने कहा कि हम पेट्रोलियम पदार्थों पर करों में कटौती तभी कर पाएंगे जब आयकर और जीएसटी के मामले में अनुपालन बेहतर होगा। जब तक यह स्थिति नहीं बनती है तब तक हमारी तेल पर कर से होने वाली आय पर निर्भरता बनी रहेगी।

पेट्रोल-डीजल के दाम मध्य अगस्त से तेजी में हैं। कच्चे तेल के दाम बढ़ने और रुपए की विनिमय दर गिरने से रोजाना इनके दाम बढ़ रहे हैं। इस दौरान पेट्रोल के दाम 3.65 रुपए और डीजल का दाम 4.06 रुपए प्रति लीटर बढ़ चुके हैं। पिछले साल मध्य जून से जब दैनिक आधार पर इनके दाम में संशोधन शुरू किया गया तब से किसी एक माह के दौरान हुई यह सबसे बड़ी वृद्धि है।

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