नयी दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार राजस्थान में बाड़मेर ऑयल ब्लॉक से तेल निकालने के लिए वेदांता के साथ उत्पादन साझेदारी समझौते (पीएससी) को 10 साल बढ़ाने के लिए मुनाफे में 10 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सा मांग सकती है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि समझौते को आगे बढ़ाने के सरकार के अधिकार पर तब तक कोई शर्त नहीं लगाई जा सकती है, जब तक कि वे सार्वजनिक हित में हैं और अधिकतम राजस्व हासिल करने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर लिए गए हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि राज्य के हित को ध्यान में रखते हुए वेदांत को एकतरफा शर्तों पर पीएससी के विस्तार की मांग करने का अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा कि संवैधानिक जनादेश के तहत राज्य प्राकृतिक संसाधनों का एक ट्रस्टी है। पीठ ने आगे कहा, ‘‘उपरोक्त सभी कारणों से, हम मानते हैं कि पीएससी का विस्तार बिना किसी नई शर्त के, उन्हीं नियम और शर्तों के आधार पर नहीं किया जा सकता, जो 25 साल पहले यानी 15 मई, 1995 को लागू थीं।’’
इसके साथ ही न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें राजस्थान स्थित बाड़मेर ब्लॉक से तेल का उत्पादन करने के लिए केन्द्र को वेदांता, ओएनजीसी के साथ अपने अनुबंध को 2030 तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया था। पीठ ने 31 मई 2018 के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार की अपील को स्वीकर किया। एकल न्यायाधीश के आदेश में वेदांता, जिसका नाम पहले केयर्न इंडिया था, के पक्ष में फैसला दिया गया था। इस ब्लॉक में सरकारी कंपनी ओएनजीसी भी 30 प्रतिशत की हिस्सेदार है। बाकी हिस्सेदारी वेदांता लिमिटेड के पास है।
केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि वेदांता के साथ उत्पादन साझेदारी समझौता (पीएससी) नई नीति के तहत आएगा। कंपनी ने इसका विरोध किया। एकल न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि वेदांता अनुबंध के विस्तार के लिए हकदार थी। इस समझौते को 2020 में खत्म होना था। सरकार ने कंपनी को वहां तेल और गैस की निकासी के लाइसेंस को 31 जनवरी 2021 तक के लिए बढ़ाया है। यह लाइसेंस का पांचवां नवीनीकरण है। इस परियोजना का 25 साल का लाइसेंस बीते साल 14 मई को खत्म हो गया था।
वेदांता ने पहली तिमाही की रपट में कहा था कि उसकी राय में उसका यह अधिकार बनता है कि आरजे ब्लॉक के लाइसेंस का उसके नाम विस्तार स्वत: किया जाए। सरकार इस परियोजना का लाइसेंस वेदांता को पहले की शर्तों पर ही दस साल और देने के लिए अक्टूबर 2018 में राजी हो गयी थी लेकिन साथ में उसने इस ब्लॉक के तेल और गैस में अपना हिस्सा दस प्रतिशत बढ़ाए जाने की शर्त लगायी। वेदांता ने सरकार की इस अतिरिक्त मांग को अदालत में चुनौती दी थी।