नई दिल्ली। केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अरविंद सुब्रमणियम ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दाम यदि 55 से 65 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहते हैं तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कोई गंभीर खतरा नहीं है। सुब्रमणियम ने कहा कि जब तक यह उस दायरे में रहते हैं इनसे हमारी वृहद अर्थव्यवस्था को कोई गंभीर खतरा नहीं होना चाहिए।
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कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का रुख
- उल्लेखनीय है कि बीते दो साल निचले स्तर पर रहने के बाद अब कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी का रुख देखने को मिल रहा है।
- उन्होंने कहा कि अगर कीमतें 55 डॉलर प्रति बैरल से उपर जाती हैं तो उत्पादन बढे़गा जो कि कच्चे तेल की कीमतों को काबू रखेगा।
- सुब्रमणियम ने कहा, बाजार ताकतें कच्चे तेल की कीमतों को हमारे अनुकूल स्तर पर रखने की स्थिति में हैं और मेरा मानना है कि 65 डॉलर तक हमारे लिए स्थिति राहतभरी होगी।
भारत के लिए कच्चे तेल के दाम 52.7 डॉलर प्रति बैरल हुए
- भारत द्वारा खरीदने जाने वाले कच्चे तेल के दाम पिछले अप्रैल में 39.9 डॉलर पर थे जो कि दिसंबर में बढ़कर 52.7 डॉलर प्रति बैरल हो गए।
- विदेशी मुद्रा भंडार के इस्तेमाल के सवाल पर सुब्रमणियम ने कहा कि जब आप इस भंडार का इस्तेमाल करते हैं तो इससे धन सृजित होगा।
- इसके साथ ही उन्होंने मौजूदा हालात के बीच पेश बजट को काफी जिम्मेदाराना बताया।
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बैंकिंग क्षेत्र के कर्ज की समस्या पर सुब्रमणियम ने कहा
बैंकिंग क्षेत्र में वसूल नहीं हो रहे कर्ज की समस्या से निपटने के लिए हमें पूरा जोर लगाने की जरूरत है। वसूल नहीं हो रहे कर्जों की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए सरकार सार्वजनिक क्षेत्र में एक सम्पत्ति पुनर्गठन कंपनी (ARC) गठित करने का विचार कर रही है।