नई दिल्ली।| भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने एमेजॉन पर फ्यूचर ग्रुप यूनिट में 2019 के निवेश के लिए मंजूरी मांगने पर तथ्यों को छिपाने और गलत दलीलें देने का आरोप लगाया है। रॉयटर्स ने सीसीआई के द्वारा मामले में भेजे गये एक पत्र के आधार पर अपनी रिपोर्ट में ये बात कही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्र रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपनी खुदरा संपत्ति बेचने के भारतीय फर्म के फैसले पर फ्यूचर ग्रुप के साथ अमेजॉन की कानूनी लड़ाई को और जटिल बनायेगा। यह मामला अब भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष है।
अमेजॉन ने तर्क दिया है कि फ्यूचर की गिफ्ट वाउचर इकाई में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए 19.2 करोड़ डॉलर का भुगतान करने के लिए उसके 2019 सौदे में सहमति से तय हुई शर्तो ने ही फ्यूचर ग्रुप को अपने फ्यूचर रिटेल व्यवसाय को रिलायंस को बेचने से रोका है।
रॉयटर्स के मुताबिक ये पत्र 4 जून को अमेजन को लिखा गया, जिसमें सीसीआई ने कहा कि 2019 में सौदे के लिये मंजूरी मांगते वक्त अमेजॉन ने फ्यूचर रिटेल में अपनी रणनीतिक रुचि का खुलासा नहीं करके लेनदेन के तथ्यात्मक पहलुओं को छुपाया। पत्र में कहा गया है, "आयोग के समक्ष अमेजॉन का आचरण गलत बयानी और तथ्यों को छिपाने के बराबर है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि चार पन्नों के इस पत्र में, एक 'कारण बताओ नोटिस' भी दिया गया है। सीसीआई ने अमेजॉन से पूछा कि उसे कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए और गलत जानकारी देने के लिए कंपनी को दंडित क्यों नहीं किया जाना चाहिए।
सीसीआई के 2019 के अनुमोदन आदेश में कहा गया है कि उसका निर्णय है कि किसी भी समय दी गई जानकारी के गलत होने पर उसे निरस्त माना जाएगा। खबर के बाद फ्यूचर रिटेल के शेयरों में तेजी देखने को मिली और स्टॉक गुरुवार दोपहर के कारोबार में लगभग 5 प्रतिशत तक बढ़ गया।