नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2020- 21 के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को 10 रुपए बढ़ाकर 285 रुपए प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दे दी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अक्टूबर, 2020 से शुरू होने वाले विपणन वर्ष के लिए चीनी मिलें गन्ना किसानों को 285 रुपए प्रति क्विंटल का न्यूनतम मूल्य प्रदान करेंगी।
2020-21 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य में वृद्धि का यह फैसला आर्थिक मामलों पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की समिति (सीसीईए) की बैठक में लिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, सीसीईए ने खाद्य मंत्रालय के उस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है, जिसमें गन्ने के मौजूदा एफआरपी 275 रुपए प्रति क्विंटल को 10 रुपए बढ़ाकर 285 रुपए प्रति क्विंटल करने की सिफारिश की गई थी। कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने भी गन्ने का एफआरपी 10 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने का सुझाव दिया था। सीएसीपी वह वैधानिक संस्था है जो सरकार को प्रमुख कृषि फसलों के मूल्य का सुझाव देती है।
गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत उचित एवं लाभकारी मूल्य वह न्यूनतम कीमत है, जिसका भुगतान चीनी मिलों को गन्ना खरीदने के लिए किसानों को अनिवार्य रूप से करना होता है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य स्वयं गन्ने का मूल्य तय करते हैं और इसे स्टेट एडवाइजरी प्राइस (एसएपी) कहा जाता है। यह केंद्र के एफआरपी से अधिक होता है।
सरकार का अनुमान है कि चालू विपणन वर्ष में गन्ने का उत्पादन महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ना क्षेत्र में आई भारी कमी के कारण घटकर 2.8 करोड़ से 2.9 करोड़ टन रहेगा। 2018-19 विपणन वर्ष में 3.31 करोड़ टन गन्ने का उत्पादन हुआ था।