नई दिल्ली। CBI ने अपनी जांच के दौरान बीते तीन साल में 393 मुखौटा कंपनियों का पता लगाया है जिनके जरिए कथित तौर पर 2,900 करोड़ रुपए की बड़ी राशि को इधर-उधर किया गया। CBI के सूत्रों का कहना है कि इन मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल कर चोरी और कालाधन सृजित करने के उद्देश्य से धन के हेरफेर के लिए किया जाता है। इसके साथ ही इनके जरिए करों के पनाहगाह कहे जाने वाले देशों को धन भेजकर उसे विदेशी निवेश के रूप में वापस लाने के लिए भी इनका इस्तेमाल किया जाता है।
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सूत्रों ने बताया कि CBI के उक्त निष्कर्ष केवल इशारा भर हैं क्योंकि ये केवल उन मामलों से जुड़े हैं जिनमें SEBI धन के हेरफेर के कानूनी साक्ष्य पाने में सक्षम रही है। उन्होंने कहा कि CBI ने 28 सार्वजनिक बैंकों व एक निजी बैंक से जुड़े विभिन्न ऋण धोखाधड़ी मामलों की जांच के दौरान धन के हेरफेर की उक्त गतिविधियों को पकड़ा। इसके साथ ही एजेंसी कम से कम 30,000 करोड़ रुपए के धन से जुड़े लगभग 200 मामलों की जांच कर रह रही है। CBI इन कंपनियों के खिलाफ भ्रष्टाचार व अन्य सम्बद्ध अपराधों के लिए मामले चला रही है।
सूत्रों का कहना है कि CBI ने इन मामलों को अन्य जांच एजेंसियों के पास भी भेजा है ताकि इनमें कंपनी कानून, मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (PMLA), बेनामी लेन-देन निरोधक कानून व आयकर कानून जैसे कानूनों के तहत कार्रवाई की जा सकी। सूत्रों का कहना है कि एजेंसी ने इन मुखौटा कंपनियों को पकड़ा ही नहीं है बल्कि आगे के परिचालन में उनके इस्तेमाल किए जाने की संभावना को भी बंद कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, हो सकता है कि इन मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल अन्य लोगों ने वित्तीय अपराधों के लिए किया हो जिसकी अन्य एजेंसियां जांच करेंगी।
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CBI ने जिन महत्वपूर्ण मामलों की जांच की है उनमें एक तो महुआ चैनल चलाने वाली कंपनी सेंचुरी कम्युनिकेशंस ग्रुप के खिलाफ है। एजेंसी के आरोप पत्र व FIR के आंकड़ों के अनुसार समूह ने 3,000 करोड़ रुपए का घपला किया। CBI का कहना है कि उसने नोएडा, मुंबई, कोलकाता व अन्य जगहों पर डिजिटल स्टूडियो स्थापित करने के लिए बैंक लोन लिए और उसके हेरफेर के लिए 98 से अधिक मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल किया।