नई दिल्ली। सिंडीकेट बैंक में मिलीभगत और फर्जी लेन-देन से करीब 1000 करोड़ का बड़ा घोटाला सामने आया है। इस लोन घोटाले की सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। मंगलवार को सीबीआई ने दिल्ली-एनसीआर, जयपुर और उदयपुर के 10 ठिकानों पर छापे मारे। इसके बाद इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी ने बैंक के कई अधिकारियों पर मामला दर्ज किया है।
दिल्ली से जयपुर तक सीबीआई के छापे
सीबीआई की टीम ने मंगलवार को जयपुर, उदयपुर और दिल्ली में बैंक की दस शाखाओं पर छापे मारे। उदयपुर में भी मधुवन स्थित बैंक शाखा से टीम ने कर्ज संबंधी कागज और कम्प्यूटर से हार्ड डिस्क सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए। वहीं बैंक के दिल्ली स्थित तत्कालीन महाप्रबंधक सतीश कुमार, जयपुर के तत्कालीन क्षेत्रीय उप महाप्रबंधक संजीव कुमार, एमआई रोड स्थित शाखा के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक देशराज मीणा खिलाफ नामजद रिपोर्ट की है। इसके अलावा जयपुर की मालवीय नगर शाखा के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक आदर्श मनचंदा और उदयपुर के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक अवधेश तिवारी के खिलाफ भी केस दर्ज किया है।
ऐसे पहचानें असली और नकली में फर्क
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अधिकारियों पर दर्ज हुआ केस
सीबीआई ने सिंडीकेट बैंक के फाइनेंस मैनेजर दिल्ली, जयपुर एमआईरोड शाखा के डीजीएम, मालवीय नगर शाखा के एजीएम, उदयपुर के चार्टर्ड अकाउंटेंट, जयपुर-उदयपुर के तीन निजी व्यक्तियों, निजी कंपनियों और अन्य के खिलाफ भादसं की धारा 409, 420, 467, 468, 471 के अलावा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 13 (2), धारा (1) (सी) (डी ) में मामला दर्ज किया।
ऐसे हुआ 1000 करोड़ का घोटाला
खातों में फर्जी चेक, लेटर ऑफ क्रेडिट और एलआईसी पॉलिसियों के जरिए 1000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की गई। एक्जीक्यूटिव्स और कारोबारियों के नाम सीबीआई ने अपनी एफआईआर में दर्ज किए हैं। जयपुर के मालवीय नगर और झोटवाड़ा थाने में सिंडीकेट बैंक से लोन गबन का मामला दर्ज हुआ है। फर्जी खातों और दस्तावेजों से करीब 800 करोड़ का लोन उठाया गया था। इनमें से 18 लोन उदयपुर ब्रांच के माध्यम से थे। उदयपुर में लोन एजेंट भरत बंब के नाम पर संदेह जताया गया था।