नयी दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी है। आयकर अपराधों को आपसी समझौते के जरिये निपटाने को लेकर सरकार ने सुविधा शुरू की है। करदाता 31 दिसंबर 2019 तक एक बार इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के ताजा निर्देश में यह कहा गया है। इसमें कहा गया है कि यह एकबारगी उपाय करदाताओं की परेशानियों को कम करने के लिए किया गया है। इसके साथ ही इससे अदालतों के समक्ष भी लंबित कर विवादों का बोझ भी कम होगा। सीबीडीटी की इस सुविधा के तहत लंबित कर और अधिभार का भुगतान करने पर सहमति बन जाने पर कर अधिकारी अपराध करने वाले करदाता अथवा कर अपवंचक के खिलाफ मामले को आगे अदालत में नहीं ले जायेगा।
कर चोरी, 25 लाख रुपये तक का टीडीएस जमा नहीं कराने के मामलों में अभियोजन नहीं
सीबीडीटी के नए सर्कुलर में कहा गया है कि जानबूझकर कर चोरी करने के प्रयास, आयकर का रिटर्न नहीं भरने और सरकारी खजाने में 25 लाख रुपए तक टीडीएस जमा नहीं कराने के मामलों में आयकर विभाग सामान्य तौर पर अदालत में अभियोजन का मामला नहीं चलाएगा। इस निर्देश को कर मुकदमेबाजी को कम करने के उल्लेखनीय कदम के रूप में देखा जा रहा है। सीबीडीटी के इस फैसले से बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स कानूनी मुकदमेबाजी से बच सकेंगे।
सीबीडीटी की ओर से यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्सपेयर्स के साथ ज्यादा सख्ती नहीं दिखाने को कहा था। दरअसल, बीते दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट किया था, 'मैंने रेवेन्यू सेक्रटरी को निर्देश दिया है कि वो यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं कि ईमानदार करदाताओं को परेशान न किया जाए और जिन्होंने मामूली या प्रक्रियात्मक उल्लंघन किया है उन पर गंभीर एक्शन न लिया जाए।'
निर्देश में कहा गया है कि ऐसे मामले सीबीडीटी के नोटिस में लाये गये हैं जहां करदाता कर अपराधों के निपटान के लिये आवेदन नहीं दे पाये क्योंकि इनमें समझौता आवेदन 12 महीने के बाद किया गया। सीबीडीटी के नौ सितंबर को जारी इस निर्देश के मुताबिक किसी भी करदाता को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिये सक्षम प्राधिकरण के समक्ष आवेदन करना होगा। ये सक्षम प्राधिकरण, प्रधान मुख्य आयुक्त अथवा मुख्य आयुक्त, प्रधान महानिदेशक अथवा आयकर विभाग महानिदेशक के समक्ष 31 दिसंबर 2019 को अथवा इससे पहले करना होगा। बोर्ड ने हालांकि, इसमें यह भी कहा है कि यह राहत ऐसे मामलों में उपलब्ध नहीं होगी जिन मामलों में सामान्य तौर पर निपटान के लिये समझौता नहीं होता है। सीबीडीटी का इशारा गंभीर किस्म की कर चोरी, वित्तीय अपराध, आतंकवाद वित्तपोषण, धन शोधन, अवैध विदेशी संपत्ति को रखना, बेनामी संपत्ति और जिस मामले में पहले न्यायालय ने दोषी ठहराया हो।
सीबीडीटी के सर्कुलर में लिखा है कि जिस मामले में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की जमा नहीं कराई गई राशि 25 लाख रुपए से कम है और इसे जमा कराने में निश्चित तारीख से 60 दिन से कम का विलंब हुआ है, तो सामान्य परिस्थितियों में इसमें मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। सीबीडीटी ने कहा है कि इस सुविधा के तहत जिन आयकर अपराधों के निपटान के लिए आवेदन किया जा सकता है उनमें किसी भी अदालत के समक्ष 12 महीने से अधिक समय से मुकदमे की प्रक्रिया लंबित हो। अथवा ऐसे मामले जहां किसी अपराध के लिये समझौता करने के बारे में पहले दिया गया आवेदन केवल इसलिये वापस ले लिया गया कि वह आवेदन 12 महीने के बाद दिया गया। या फिर इससे पहले मामले के निपटान के लिए कोई आवेदन तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया।
सीबीडीटी के सर्कुलर में कहा गया है कि बार-बार चूक करने के अपवाद वाले मामलों में दो मुख्य आयुक्तों के कालेजियम या आयकर विभाग के महानिदेशक की मंजूरी से अभियोजन चलाया जा सकता है। ऐसे मामलों में आयकर कानून की धारा 276 बी के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह ऐसे मामले जिसमें जानबूझकर कर चोरी की राशि या कम आय दिखाने पर कर 25 लाख रुपए या उससे कम है तो उनमें भी अभियोजन की कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसमें आयकर कानून की धारा 276सी एक के तहत कार्रवाई होगी।