नई दिल्ली। टैक्सपेयर्स की रिफंड-संबंधी बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर सीबीडीटी ने सोमवार को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को नया आदेश जारी किया है। इस निर्देश में चालू वित्त वर्ष के दौरान लंबित सभी रिफंड मामलों को 30 दिन की निर्धारित अवधि के बजाये 15 दिन के भीतर निपटाने के लिए कहा गया है। रिफंड के लिए लंबित पड़े मामलों की बड़ी संख्या को देखते हुए सीबीडीटी ने यह आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि टैक्स रिफंड के लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए यह तय किया गया है कि आयकर कानून की धारा 245 के तहत पुष्टि के मामलों में टैक्सपेयर्स और टैक्स निर्धारण अधिकारी के लिए समय सीमा को मौजूदा 30 दिन से घटाकर 15 दिन कर दिया जाए। अभी धारा 245 के तहत टैक्सपेयर्स को नोटिस का जवाब देने के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है और इतना ही समय बाद में सक्षम अधिकारी को डिमांड को कन्फर्म या सही करने के लिए मिलता है, इससे डिमांड को जांचने और रिफंड को जारी करने में बहुत अधिक समय लगता है। इससे शिकायतों का अंबार बढ़ता जा रहा है।
सीबीडीटी ने अपने आदेश में कहा है कि धारा 245 के तहत वेरीफिकेशन वाले लंबित रिफंड के लिए यह निर्णय लिया गया है चालू वित्त वर्ष के शेष समय के लिए रिफंड की समय सीमा 30 दिन से घटाकर 15 दिन कर दी जाए। इस आदेश में कहा गया है कि लंबित मामलों को निपटाने के लिए यह एक बार उठाया गया कदम होगा और 15 दिन का घटाया गया समय केवल 31 मार्च 2016 तक के लिए ही प्रभावी होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीबीडीटी ने संभवता पहली बार ऐसा आदेश जारी किया है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस के चेयरमैन अतुलेश जिंदल ने खुद इस आदेश पर अपने हस्ताक्षर किए हैं। इस आदेश के तहत वित्त वर्ष 2015-16 के लंबित रिफंड मामलों को निपटाया जाएगा। रिफंड का आसान बनाने के लिए सीबीडीटी ने इससे पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को तत्काल कदम उठाकर मार्च अंत 1.49 लाख टैक्सपेयर्स से जुड़े 16,000 करोड़ रुपए के विवादित डिमांड मामलों को निपटाने के लिए भी निर्देश दिए थे।