नई दिल्ली। तीन लाख रुपए से अधिक के नकद लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने की एसआईटी की सिफारिश पर सरकार गौर कर रही है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की चेयरपर्सन रानी सिंह नायर ने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था में काले धन पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा काले धन पर नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने तीन लाख रुपए और उससे अधिक के नकद लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। साथ ही व्यक्तियों और उद्योग के पास 15 लाख रुपए नकदी रखे जाने की सीमा तय किए जाने की भी सिफारिश की गई है। इसका मकसद देश में कालेधन पर अंकुश लगाना है।
उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ये सिफारिशें आयी हैं। तीन लाख रुपए से अधिक के नकद लेन-देन पर अंकुश लगाने की एसआईटी की सिफारिश पर विचार किया जा रहा है। रानी ने कहा कि आयकर विभाग पहले नकद लेन-देन पर एक प्रतिशत टीसीएस तथा पैन का उल्लेख करना अनिवार्य कर चुका है। उन्होंने कहा, ये सभी पहलू एसआईटी की सिफारिशों का हिस्सा है जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था में नकदी के उपयोग को बंद करना है। तीन लाख रुपए और उससे अधिक के लेन-देन के सुझाव पर विचार किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति एम बी शाह (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाले एसआईटी ने कालाधन पर लगाम लगाने के बारे में अपनी पांचवीं रिपोर्ट पिछले महीने सौंपी। समिति ने सिफारिश की है तीन लाख रुपए और उससे अधिक के लेन-देन पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए और इस प्रकार के लेन-देन को कानून के तहत अवैध और दंडनीय बनाने के लिये अधिनियम बनाये जाएं। नकदी 15 लाख रुपए तक रखे जाने के बारे में एसआईटी ने सुझाव दिया है कि क्षेत्र के आयकर आयुक्त से इस बारे में विशेष मंजूरी ली जानी चाहिए।