नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) कर चोरी करने वालों के नाम सार्वजनिक करने की अपनी नीति का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इसके तहत ऐसे आंकड़े बैंक तथा क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को साझा किए जा सकते हैं। CBDT ने मौजूदा व्यवस्था बारे में विचार करने और उसकी समीक्षा के लिए एक विशेष समिति गठित की है। साथ ही समिति भविष्य की रूपरेखा का भी सुझाव देगी तकि करोड़ों रुपए के बकाया या डिफॉल्ट करने वालों की शिनाख्त हो सके और कर कानून के तहत अभियोजन चलाया जा सके।
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प्रधान महानिदेशक स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय समिति को जो एजेंडा दिया गया है, उसमें पहचाने गए डिफॉल्टर्स के नाम सार्वजनिक करने की नीति का मकसद पूरा हुआ है या नहीं और क्या इसका दायरा बढ़ाये जाने की जरूरत है, शामिल हैं। समिति का गठन 25 मई को हुआ।
उपलब्ध ब्योरे के अनुसार, समिति इस बात पर विचार करेगी कि क्या ऐसे चूककर्ताओं के नाम बैंकों, वित्तीय संस्थानों, क्रेडिट रेटिंग तथा क्रेडिट इनफार्मेशन ब्यूरो लि. (सिबिल) जैसे जोखिम रेटिंग एजेंसियों तथा अन्य के साथ कर अधिकारियों से साझा किया जाए। CBDT ने करीब दो साल पहले नाम सार्वजनिक करने का अभियान शुरू किया है। इसके तहत डिफॉल्टर्स के नाम तथा चूक राशि, पता और स्थायी खाता संख्या (पैन) जैसे ब्योरे प्रमुख समाचारपत्रों में प्रकाशित कराया जाता था।
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अब तक विभाग ने ऐसी 106 इकाइयों के नाम सार्वजनिक किया है जिन्होंने न्यूनतम एक करोड़ रुपए से अधिक की कर चोरी की है। समिति से 15 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट CBDT को देने को कहा गया है।