नई दिल्ली। देश में पेट्रोल और डीजल का भुगतान डिजिटल माध्यम से करने पर 0.75 फीसदी डिस्काउंट मंगलवार से मिलना शुरू हो गया है। इस अनिवार्य डिस्काउंट की वजह से सरकारी तेल कंपनियों को सालाना 5,000 करोड़ रुपए की चपत लगेगी। यह केवल आरंभिक अनुमान है, नुकसान अधिक भी हो सकता है। तेल कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इस नुकसान की भरपाई सरकार करेगी या कंपनियों को ही इसका बोझ उठाना होगा।
पिछले हफ्ते सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल-डीजल का डेबिट-क्रेडिट या ई-वॉलेट के जरिये भुगतान करने पर 0.75 फीसदी डिस्काउंट देने की घोषणा की थी।
एक आरंभिक अनुमान के मुताबिक पेट्रोल पर 50 पैसा प्रति लीटर और डीजल पर 40 पैसा प्रति लीटर का डिस्काउंट मिलेगा। सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्प, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम, जो संयुक्त रूप से प्रतिदिन औसतन 90,000 किलो लीटर पेट्रोल और 225,000 किलो लीटर डीजल की बिक्री करती हैं, इस डिस्काउंट से उनकी इनकम पर बड़ा असर पड़ेगा।
डिस्काउंट की लागत पर सरकार या कंपनी के किसी प्रस्ताव के सवाल पर हिंदुस्तान पेट्रोलियम के चेयरमैन मुकेश सुराना ने कहा कि,
अभी इस पर काम किया जाना बाकी है। वर्तमान में इसको लेकर सरकार के साथ कोई चर्चा नहीं हुई है। अभी हम डिस्काउंट स्कीम को लागू करने में व्यस्त हैं।
ईंधन मांग नंवबर में 12 प्रतिशत बढ़ी
नोटबंदी के बाद पेट्रोल व डीजल की बढ़ी बिक्री के कारण नवंबर महीने में भारत की ईंधन मांग 12.1 प्रतिशत बढ़ी है। पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार नवंबर में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत नवंबर महीने में बढ़कर 1.668 करोड़ टन हो गई, जो कि पिछले साल नवंबर में 1.484 करोड़ टन रही थी।
- इसके अनुसार आलोच्य महीने में पेट्रोल खपत 14.4 प्रतिशत बढ़कर 20.1 लाख टन व डीजल बिक्री 10.45 प्रतिशत बढ़कर 67.5 करोड़ टन हो गई।
- अक्टूबर की तुलना में पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री में मामूली ही वृद्धि हुई।
- अक्टूबर में 1.655 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पाद बिके, जिनमें पेट्रोल की बिक्री 21 लाख टन व डीजल की बिक्री 66.7 लाख टन रही।
- नवंबर महीने में रसोई गैस या एलपीजी की बिक्री 16.5 प्रतिशत बढ़कर 18.8 लाख टन रही।