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नकदी से भरपूर सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनी से छोटी कंपनियों के अधिग्रहण के लिए कह सकती है सरकार

ओएनजीसी द्वारा एचपीसीएल में सरकारी हिस्सेदारी के अधिग्रहण की तर्ज पर सरकार बीमा क्षेत्र में यह तरीका अपना सकती है। यह भारी मात्रा में नकदी जुटा कर बैठी सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों को इसी क्षेत्र की छोटी सरकारी कंपनियों को खरीदने के लिए

Edited by: Manish Mishra
Published on: March 04, 2018 18:13 IST
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नई दिल्ली ओएनजीसी द्वारा एचपीसीएल में सरकारी हिस्सेदारी के अधिग्रहण की तर्ज पर सरकार बीमा क्षेत्र में यह तरीका अपना सकती है। यह भारी मात्रा में नकदी जुटा कर बैठी सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों को इसी क्षेत्र की छोटी सरकारी कंपनियों को खरीदने के लिए कह सकती है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि नकदी से भरी साधारण बीमा कंपनियों द्वारा छोटी-छोटी बीमा कंपनियों के अधिग्रहण के साथ उनके बीच शेयरों की अदला बदली के विकल्प पर भी विचार किया जा सकता है।

वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र की तीन साधारण बीमा कंपनियों-नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि., यूनाइटेड इंडिया एश्योरेंस कंपनी लि. तथा ओरिएंटल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लि. को एक बीमा इकाई में विलय का प्रस्ताव किया है। विलय के बाद बनने वाली इकाई शेयर बाजारों में सूचीबद्ध होगी।

अधिकारी ने कहा कि अगर एक बीमा कंपनी दूसरे में हिस्सेदारी का अधिग्रहण करती है, सरकार अपनी हिस्सेदारी के बदले कुछ धन प्राप्त करेगी। उन्‍होंने कहा कि नकदी से भरपूर बीमा कंपनी को उस छोटी बीमा कंपनी को खरीदने के लिए कहा जा सकता है जहां परिचालन में तालमेल हो। शेयरों की अदला-बदली पर भी विचार किया जा सकता है।

पिछले साल 31 मार्च की स्थिति के अनुसार ओरिएंटल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के पास नकदी और बैंक जमा 2,357 करोड़ रुपए, यूनाइटेड इंडिया एश्योरेंस कंपनी के पास 1,916 करोड़ रुपए तथा नेशनल इंश्योरेंस के पास 1,587 करोड़ रुपए की नकदी और बैंक जमा थी।

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2018 में ओएनजीसी ने तेल रिफाइनरी कंपनी एचपीसीएल में सरकार की पूरी 51.11 प्रतिशत हिस्सेदारी 36,915 करोड़ रुपए में अधिग्रहण की घोषणा की।

ओएनजीसी-एचपीसीएल के सौदे से प्राप्त राशि के कारण सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए विनिवेश लक्ष्य को संशोधित कर एक लाख करोड़ रुपए कर दिया। इसके अलावा राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.5 प्रतिशत पर सीमित रखने में मदद मिली।

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