नई दिल्ली। एक ओर जहां सरकार नोटबंदी के बाद मुद्रा की स्थिति सामान्य होने के दावे कर रही है, वहीं नोमूरा जैसी वैश्विक वित्तीय एजेंसियां इन दावों को झुठला रही हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा कि पुरानी मुद्रा को चलन से बाहर करने के अभूतपूर्व निर्णय के कुछ हफ्तों बाद ही मुद्रा की सामान्य स्थिति को बहाल कर लिया गया था और बाजार में नई मुद्रा की कोई कमी नहीं है।
वहीं नोमूरा का कहना है कि अर्थव्यवस्था में नोटबंदी का असर अभी भी दिखाई दे रहा है और नकदी की स्थिति मार्च तक पर्याप्त होने की उम्मीद नहीं है।
- नोमूरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नकदी की कमी से अगले दो महीने तक मात्रा के हिसाब से व्यापार कम होने के आसार हैं।
- वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी में निर्यात की वृद्धि दिसंबर के 5.72 प्रतिशत से कम है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि मात्रा के हिसाब से भारतीय निर्यात में कमी से पता चलता है कि नोटबंदी का असर अभी भी नकदी आधारित क्षेत्रों पर कायम है।
- नोमूरा के शोध नोट में कहा गया है, हम इसकी व्याख्या प्रतिस्पर्धा में कमी के संकेतक के रूप में नहीं कर रहे हैं।
नोमूरा इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने नोट में कहा,
हमारा अनुमान है कि व्यापार की मात्रा अभी एक या दो महीने और कम रहेगी क्योंकि अर्थव्यवस्था में नकदी का स्तर मार्च के अंत से पहले पर्याप्त होने की उम्मीद नहीं है।
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- आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जनवरी की अवधि में निर्यात 220.92 अरब डॉलर रहा, जो इससे एक साल पहले समान अवधि से करीब एक प्रतिशत अधिक है।