नई दिल्ली। देश में जारी नकदी की कमी को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बुधवार को कहा कि इसका संभावित कारण वित्त वर्ष 2017-18 में लोगों की आमदनी में बढ़ोतरी न होना है। इसके साथ ही पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में लोगों ने एटीएम से अधिक नकदी निकाली है, जिससे नकदी की किल्लत पैदा हुई है।
बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष द्वारा तैयार की गई एसबीआई ईकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 के मार्च तक अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन 18.29 लाख करोड़ रुपए तक था, जो कि नोटबंदी से पहले प्रचलन में रही मुद्रा से भी अधिक है। नोटबंदी से पहले अर्थव्यवस्था में 17.98 लाख करोड़ रुपए नकदी चलन में थी। सरकार ने कुछ क्षेत्रों में नकदी की कमी के लिए 'असामान्य मांग' को दोषी ठहराया है और घोषणा की है कि 500 रुपए के नोट पांच गुना अधिक छापे जाएंगे।
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 में लोगों की आय बढ़ने की रफ्तार में गिरावट रही, खासतौर से दूसरी तिमाही में। साथ ही यह संकेत भी मिलता है कि 2,000 रुपए के नोट अर्थव्यवस्था में पर्याप्त चलन में नहीं हैं। घोष ने कहा कि हमारे आंतरिक अनुमान से पता चलता है कि बिहार, गुजरात और दक्षिणी राज्यों में लोगों की आय में बढ़ोतरी राष्ट्रीय औसत से कम हुई है।
घोष ने कहा कि इस वजह से एटीएम निकासी में वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी छमाही में एटीएम निकासी पहली छमाही की तुलना में 12.2 प्रतिशत अधिक रही है। यह वृद्धि वित्त वर्ष 2015-16 और 2014-15 यहां तक की पांच साल के औसत (वित्त वर्ष 2011-12 से वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान 8.2 प्रतिशत) से भी अधिक है।