नयी दिल्ली। दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत मामलों को एनसीएलएटी प्रक्रिया से पहले निस्तारण की प्रक्रिया में कुल 3.75 लाख करोड़ रुपए कर्ज के 9,600 मामलों का निपटान किया गया है। सरकार ने यह जानकारी दी है। इसका तात्पर्य किसी दिवाला मामले को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास भेजने से पहले ही उसको पारस्परिक बातचीत के आधार पर समाधान किए जाने का अवसर दिया जाता है।
बता दें कि, आईबीसी 2016 में लागू हुआ था। इसके तहत दबाव वाली संपत्तियों का निपटान बाजार संबद्ध और समयबद्ध तरीके से किया जाता है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने रविवार को जारी बयान में कहा कि इस संहिता के तहत कुल 21,136 आवेदन दाखिल किए गए हैं। इनमें से 3,74,931.30 करोड़ रुपए के 9,653 मामलों का निपटान उन्हें एनसीएलटी के पास भेजे जाने से पहले ही कर दिया गया।
बयान में कहा गया है कि 2,838 मामले कॉरपोरेट दिवाला शोधन प्रक्रिया (सीआईआरपी) के तहत दाखिल किए गए। इनमें से 306 मामले अपील-समीक्षा या वापस लिए जाने के बाद बंद हो गए हैं। मंत्रालय ने कहा कि 161 निपटाए गए मामलों में कुल प्राप्ति राशि 1,56,814 करोड़ रुपए रही।