नई दिल्ली। अमेरिका का कार्लाइल समूह पिरामल फार्मा में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगा। पिरामल एंटरप्राइजेज ने शनिवार को कहा कि यह सौदा 3700 करोड़ रुपए (49 करोड़ डॉलर) से अधिक का है। अजय पिरामल के नेतृत्व वाली कंपनी ने नियामकीय जानकारी में बताया है कि कार्लाइल समूह की फंड कंपनी सीएपी वी मॉरीशियस लिमिटेड की सब्सिडियरी सीए क्लोवर इंटरमीडिएट 2 इनवेस्टमेंट ने पिरामल फार्मा में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए अपनी सहमति दी है।
पिरामल फार्मा में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए कार्लाइल समूह 3700 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च करेगा। कंपनी ने कहा है कि इस सौदे की अंतिम राशि का फैसला सौदा पूरा होने के समय शुद्ध कर्ज, एक्सचेंज रेट और पूर्व-सहमत शर्तों के पूरा होने पर निर्भर करेगी।
त्वचा देखभाल संबंधी उत्पादों से श्वेत, गोरे, हल्के जैसे शब्दों को हटाएगी लॉरिएल
कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली फ्रांस की कंपनी लॉरिएल ग्रुप ने कहा कि वह त्वचा के रखरखाव से संबंधित अपने उत्पादों से श्वेत, गोरे और हल्के जैसे शब्दों को हटाएगी। यूनिलीवर ने भी एक दिन पहले इसी तरह की घोषणा की थी और कहा था कि वह अपने लोकप्रिय ब्रांड ‘फेयर एंड लवली’ से ‘फेयर’ शब्द को हटाएगी। नस्लीय रुढ़ियों के खिलाफ उठती आवाजों के बीच त्वचा के गोरेपन से संबंधित सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनियां दबाव में हैं। यह ऐसे समय में महत्वपूर्ण हो जाता है, जब अमेरिका से शुरू हुआ ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन कई देशों में फैल चुका है। कंपनी ने एक बयान में कहा लॉरिएल ग्रुप त्वचा का रंग बदलने वाले उत्पादों को लेकर उठ रही आपत्तियों को स्वीकार करती है। इसे लेकर कंपनी त्वचा संबंधी अपने सभी उत्पादों से गोरे, गोरेपन, श्वेत, सफेद, हल्का आदि शब्दों को हटाने का निर्णय लेती है।
कई और कंपनियों भी इस तरह के कदम उठा रही हैं। अमेरिकी की स्वास्थ्य देखभाल और एफएमसीजी कंपनी जॉनसन एण्ड जॉनसन ने भी त्वचा को गोरा बनाने वाली क्रीम की भारत सहित दुनियाभर में बिक्री को रोक दिया है। वहीं कोलकाता स्थित एफएमसीजी कंपनी इमामी ने भी कहा है कि वह स्थिति का मूल्यांकन कर रही है। कंपनी गोरापन लाने वाले ब्रांड फेयर एंड हैंडसम का उत्पादन करती है।