नई दिल्ली। भारत में इस्लामिक बैंकिंग शुरू करने के भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय ने क्या प्रतिक्रिया दी है, इसे सार्वजनिक करने से केंद्रीय बैंक ने इनकार किया है।
इस्लामिक बैंकिंग पर आरबीआई के इंटर डिपार्टमेंटल ग्रुप (आईडीजी) की सिफारिशों पर वित्त मंत्रालय द्वारा भेजे गए पत्र की कॉपी उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय बैंक से अनुरोध किया गया था।
केंद्रीय बैंक ने वित्त मंत्रालय के अधीन कार्यरत डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेस (डीएफएस) से यह पूछा था कि क्या उसके द्वारा भेजे गए पत्र को सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत सार्वजनिक किया जा सकता है।
- आरटीआई आवेदन का जबाव देते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस संबंध में डीएफएस, भारत सरकार से सुझाव मिला है कि इस पत्र को धारा 8 (1)(सी) के प्रावधान के तहत छूट है।
- यह धारा ऐसी सूचना दिए जाने पर रोक लगाती है जिससे संसद और राज्य विधानसभाओं के विशेषाधिकार का हनन हो सकता है।
- इस्लामिक और शरिया बैंकिंग एक ऐसा वित्तीय तंत्र है जो ब्याज न वसूलने के सिद्धांत पर आधारित है।
- इस्लाम में ब्याज लेना प्रतिबंधित है।
- आरबीआई ने देश में ब्याज मुक्त बैंकिंग के लिए शरिया कानून के तहत इस्लामिक बैंक शुरू करने का प्रस्ताव किया था।
- आरबीआई ने वित्त मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में कहा था कि सरकार द्वारा आवश्यक अधिसूचना जारी करने के बाद शुरुआत में पारंपरिक बैंकिंग उत्पादों के समान ही कुछ सामान्य उत्पादों के साथ इस्लामिक बैंकिंग की शुरुआत की जानी चाहिए।
- केंद्रीय बैंक का यह प्रस्ताव कानूनी, तकनीकी और नियामकीय मुद्दों पर परीक्षण के बाद और आईडीजी की सिफारिशों पर पेश किया गया था।