नई दिल्ली कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम को लेकर पूरे देश में किए गए पूर्ण लॉकडाउन के दौरान कृषि व संबंधित क्षेत्र की गतिविधियों में मिली छूट के चलते किसानों का कोई काम तो नहीं रूका, लेकिन चीनी मिलों पर उनका बकाया बढ़ता चला गया। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से शनिवार को प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो 28 मई 2020 तक चीनी मिलों पर गन्ना उत्पादकों का बकाया 22,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है, जिसमें गन्ना पेराई सीजन 2019-20 के साथ-साथ 2018-19 की बकाया राशि भी शामिल है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चीनी उत्पादन व मार्केटिंग सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान पेराई किए गए गन्ने के दाम का बकाया चीनी मिलों पर 28 मई तक 21,238 करोड़ रुपए (स्टेट एडवायजरी प्राइस यानी एसएपी के आधार पर ) था। इसके अलावा गन्ना पेराई सीजन 2018-19 का बकाया 815 करोड़ रुपए है।
चीनी आवश्यक वस्तु की श्रेणी में आती है इसलिए लॉकडाउन के दौरान इसके उत्पादन, परिवहन व विपणन की छूट आरंभ में ही दे दी गई थी। लेकिन उद्योग से जुड़े लोगों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान चीनी की घरेलू मांग प्रभावित रही जिसके कारण चीनी मिलों को गन्ना उत्पादकों का बकाया भुगतान करने में कठिनाई हो रही है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने चालू चीनी सीजन 2019-20 में कई उपाय किए हैं, जिसमें 40 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक के रखरखाव पर 1674 करोड़ रुपए का खर्च और 60 लाख टन तक चीनी निर्यात पर चीनी मिलों को प्रति टन 10,448 रुपए की दर से सहायता राशि शामिल है जिस पर करीब 6,268 करोड़ रुपए खर्च आएगा।
खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू सीजन में 270 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल का बकाया 145 लाख टन है। इस प्रकार चालू सीजन में चीनी की कुल आपूर्ति 415 लाख टन होगी। हालांकि मंत्रालय का अनुमान है कि घरेलू खपत 240 लाख टन और निर्यात करीब 50 लाख टन रह सकता है। इस प्रकार अगले सीजन के लिए बकाया स्टॉक 125 लाख टन रहेगा।