नई दिल्ली। देश भर में गन्ना किसानों का पिछले दो सीजन के दौरान मिल मालिकों पर गन्ने का बकाया 10,000 करोड़ रुपए रहा है। इसमें सबसे अधिक बकाया उत्तर प्रदेश की मिलों पर है। इससे पहले 2014-15 में यह बकाया 22,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि सितंबर में समाप्त हो रहे चालू गन्ना सत्र 2015-16 में इस महीने की शुरूआत तक गन्ना किसानों का 9,361 करोड़ रुपए बकाया था जबकि पिछले सत्र का बकाया 780 करोड़ रुपए है। कुल मिलाकर किसानों का 10,000 करोड़ रुपए से कुछ अधिक मिलों पर बकाया है।
नकदी संकट से जूझ रहे मिल मालिकों की गन्ने के लंबित भुगतान को निपटाने में मदद के लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए पासवान ने कहा, पिछले दो साल में सरकार के नीतिगत हस्तक्षेप से बकाया कम करने में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि 2014-15 के सत्र में एक समय गन्ने का बकाया करीब 22,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था लेकिन कई सरकारी हस्तक्षेपों के बाद यह घटकर 780 करोड़ रुपए रह गया हैं जिसमें से 191 करोड़ रुपए उत्तरप्रदेश का है जो देश का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है। चालू चीनी सत्र में भी गन्ना बकाया 14,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था जो कि इस महीने की शुरूआत तक घटकर 9,361 करोड़ रुपए रह गया। चालू सत्र 2015-16 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ना किसानों के 9,361 करोड़ रुपए के बकाए में भी सबसे अधिक बकाया 2,855 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश में है।
उत्तर प्रदेश में चालू सत्र के दौरान गन्ने का यह बकाया केन्द्र द्वारा तय गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के मुताबिक है। केन्द्र द्वारा गन्ने का एफआरपी 230 रुपए क्विंटल तय किया गया है। यदि बकाए की गणना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तय दाम के मुताबिक की जाये तो चालू सत्र के लिए राज्य में गन्ने का बकाया 5,795 करोड़ रुपए होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने का दाम 280 रुपए क्विंटल तय किया है। पासवान ने बताया कि इसके अलावा इस महीने की शुरआत तक महाराष्ट्र में गन्ने का बकाया 1,819 करोड़ रुपए और कर्नाटक में 1,625 करोड़ रुपए है। देशभर में किसानों को गन्ने का कुल 60 से 65,000 करोड़ रुपए तक भुगतान किया जाता है।