नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने कहा है कि वह यह जानकारी नहीं दे सकता कि किन-किन कंपनियों ने अपने विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों के इस्तेमाल की मंजूरी मांगी क्योंकि इस तरह के काम में गहन छानबीन की जरूरत पड़ती है। एक RTI के जवाब में PMO ने कहा कि इस काम में उसके संसाधनों का भी ‘अनुपातहीन रूप से’ दूसरी दिशा में इस्तेमाल होगा क्योंकि सूचना ठोस तौर पर उपलब्ध नहीं है।
RTI के जवाब में PMO ने कहा कि,
सूचना के किसी भी तरह के संग्रह के लिए हर रसीद या मामले से संबंधित सभी फाइलों में कैद संचार-संवाद की गहन छानबीन की जहमत उठानी पड़ेगी।
PMO ने कहा कि इस तरह के विस्तृत काम के लिए कार्यालय के सामान्य कामकाज में लगने वाले संसाधनों का अनुपातहीन रूप से दूसरी जगह इस्तेमाल होगा और RTI अधिनियम, 2005 की धारा सात (9) के प्रावधान लागू होंगे। इस धारा के तहत ‘सूचना सामान्यत: उसी रूप में दी जाएगी जिसमें उसकी मांग की जाए जब तक इससे सार्वजनिक प्राधिकरण के संसाधन का अनुपातहीन रूप से दूसरी दिशा में इस्तेमाल ना हो या वह सवालिया रिकार्ड की सुरक्षा के लिहाज से हानि ना पहुंचाए।’ PMO से प्रधानमंत्री की तस्वीरों का इस्तेमाल करने के लिए कंपनियों, ट्रस्ट्स और व्यक्तियों द्वारा मांगी गई मंजूरी के ब्यौरे और इस तरह के अनुरोध को स्वीकारने या नामंजूर करने से संबंधित संवाद की प्रतियां मांगी गई थीं।
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एक अन्य RTI आवेदन के जवाब में PMO ने कहा कि उसके पास विज्ञापनों में मोदी की तस्वीरों के इस्तेमाल की खातिर रिलायंस जियो और पेटीएम द्वारा मांगी गयी मंजूरी का कोई रिकॉर्ड नहीं है। PMO ने कहा कि मांगी गई सूचना इस कार्यालय के पास मौजूद रिकॉर्ड में शामिल नहीं है।
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बता दें कि पिछले साल सितंबर में रिलायंस जियो ने अखबार के एक पूरे पन्ने पर दिए गए अपने विज्ञापन में रिलायंस जियो की 4G सेवा मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया परियोजना को समर्पित की थी। इसके साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर लगायी गयी थी। 8 नवंबर को हुई नोटबंदी के बाद पेटीएम ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए ऑनलाइन भुगतान को बढ़ावा देते हुए अपने प्रचार के लिए एक विज्ञापन दिया था। विज्ञापन में मोदी की तस्वीर लगाई गई थी। दोनों ही मामलों ने राजनीतिक विवाद का रूप ले लिया था।