नयी दिल्ली: व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सरकार से विदेशी निवेश वाली ऑनलाइन कंपनियों के दबाव में ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे में किसी तरह की ढील नहीं देने का आग्रह किया है। कैट ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि इस तरह आवाजें उठने लगी हैं कि ये नियम कुछ जरूरत से ज्यादा सख्त हैं।
कैट ने बयान में कहा कि विदेशी निवेश प्राप्त ई-कॉमर्स कंपनियां इन नियमों के मसौदे के खिलाफ दबाव बनाने का प्रयास करेंगी। हमने प्रधानमंत्री से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ई-कॉमर्स नियमों के मसौदे में किसी तरह की ढील नहीं दी जाए। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि सुझावों और आपत्तियों की समीक्षा के बाद नियमों के मसौदे को बिना किसी विलंब के अधिसूचित किया जाए।
कैट ने प्रधानमंत्री को भरोसा दिलाया कि देश का व्यापारिक समुदाय इन नियमों को जारी करने के लिए सरकार के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है। आरोप लगाया जाता है कि कि ई-कॉमर्स कंपनियों के अनैतिक और कानून का उल्लंघन करने वाले कारोबारी व्यवहार की वजह से आज देश में बड़ी संख्या में दुकानें बंद हो गई हैं। कैट ने कहा, ‘देश के व्यापारी ई-कॉमर्स के खिलाफ नहीं है। उनका मानना है कि यह भविष्य का सबसे बेहतर कारोबारी रास्ता है और व्यापारियों को भी इसे अपनाना चाहिए।
नांगिया एंडरसन एलएलपी के भागीदार संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि प्रस्तावित नियम मसलन मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति, नोडल संपर्क व्यक्ति और स्थानीय शिकायत अधिकारी की नियुक्ति जैसे कदम उपभोक्ता हितों की दृष्टि से काफी अच्छे हैं, लेकिन इससे कंपनियों विशेषरूप से भारत से बाहर से परिचालन करने वाली फर्मों पर अनुपालन का भारी बोझ बढ़ेगा।