नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से चीनी वस्तुओं के बहिष्कार आंदोलन को धार देने के लिए एक और बदलाव की मांग की है। देशभर के करीब 7 करोड़ कारोबारियों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन कैट ने वाणिज्य मंत्री को भेजे एक पत्र में मांग की है कि भारत में ई-कॉमर्स अथवा बाज़ारों या अन्य किसी माध्यम से बेचे जाने वाली प्रत्येक वस्तुओं पर भी निर्माता देश का नाम अंकित होना चाहिए। साथ ही उसमें ये भी बताया जाना चाहिए कि उसके लिए कच्चा माल कहां से लाया गया है। बता दें कि कैट के पूर्व में की गई एक मांग को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स पोर्टल जैम पर बेचे जाने वाले सभी उत्पादों पर उपरोक्त दोनों विवरणों का उल्लेख करना अनिवार्य कर दिया है।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की हमलावर हरकतों के बीच भारत में वहां के माल के बहिष्कार की गूंज के बीच देश के खुदरा व्यापारियों के प्रमुख संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का मानना है कि यह भ्रम है कि चीन का सामान सस्ता होता है। चीनी माल के बहिष्कार-अभियान में अग्रणी भूमिका निभा रहे खंडेलवाल ने कहा कि तैयार माल को देखें तो 80 प्रतिशत उत्पाद ऐसे हैं, जिनमें भारत और चीन के सामान का दाम लगभग समान है। भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। चीन के उत्पाद यूज एंड थ्रो वाले होते है। हमारे उत्पादों के साथ ऐसा नहीं है।
इसके अलावा भारतीय सामान के साथ गारंटी भी होती है। उन्होंने कहा कि चीन की रणनीति है। वह अपने सामान को किफायती बताकर उसे भारतीय बाजारों में पाटता रहा है। हालांकि, अब लोगों की धारणा बदल रही है। कैट ने 10 जून से चीनी सामानों के बहिष्कार का अभियान शुरू किया है। इसमें कैट ने बॉलीवुड की हस्तियों, क्रिकेट खिलाड़ियों तथा मुकेश अंबानी और रतन टाटा जैसे दिग्ग्ज उद्योपतियों का सहयोग मांगा है। खंडेलवाल ने कहा कि हम पूरी तरह चीन के आयात पर निर्भरता समाप्त कर सकते हैं। बशर्ते सरकार, उद्योग और व्यापार मिलकर काम करें।
उन्होंने कहा कि पहले हम पीपीई किट, मास्क और वेंटिलेटर नहीं बनाते थे। कोविड-19 ने अवसर दिया और आज हम इनके विनिर्माण में दुनिया के कई देशों को पीछे छोड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार उद्योग के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम 50 एकड़ जमीन चिह्नित करे। वहां हम अपनी विनिर्माण इकाइयां लगा सकते हैं। इसके अलावा सरकार को उद्योग को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराना चाहिए। भारत में श्रम सस्ता है, जमीन उपलब्ध है, उपभोग के लिए बड़ी आबादी है। अगर सब मिलकर चलें, तो कोई वजह नहीं कि हम अगले चार-पांच साल में चीन से आयात पूरी तरह समाप्त करने में सफल हो सकते हैं।