नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि वह केयर्न इंडिया के वेदांता लिमिटेड में विलय की अनुमति तब तक नहीं देगी जब तक कि 10,247 करोड़ रुपए का टैक्स मुद्दा सुलझ नहीं जाता। सरकार की इस घोषणा को प्रमुख खनन उद्योगपति अनिल अग्रवाल के लिए झटका माना जा रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि टैक्स देनदारी को निपटाए जाने तक केयर्न-वेदांता के विलय की अनुमति नहीं दी जा सकती।
अग्रवाल के वेदांता ग्रुप ने 2011 में केयर्न इंडिया को उसके ब्रितानी प्रवर्तकों, केयर्न एनर्जी पीएलसी से खरीदा था। वेदांता ग्रुप ने पिछले साल केयर्न इंडिया का विलय बीएसई में सूचीबद्ध वेदांता लिमिटेड में करने का प्रस्ताव किया था। टैक्स कानूनों में पिछली तारीख से संशोधन के जरिये केयर्न एनर्जी पीएलसी व केयर्न इंडिया के खिलाफ जारी टैक्स डिमांड नोटिस इस विलय को बाधित कर रहा है। अधिकारी ने यहां कहा, केयर्न को पहले टैक्स देनदारी को निपटाना होगा।
आयकर विभाग ने पूर्व की तारीख से संशोधित कर कानूनों का इस्तेमाल करते हुए जनवरी 2014 में केयर्न एनर्जी को 10,247 करोड़ रुपए का टैक्स नोटिस थमाया था। इस साल फरवरी में विभाग ने अंतिम आकलन आदेश जारी कर केयर्न एनर्जी से टैक्स मद में 29,000 करोड़ रुपए की मांग रखी। इसमें 18,800 करोड़ रुपए का ब्याज शामिल है। केयर्न एनर्जी की अब भी केयर्न इंडिया में 9.8 प्रतिशत हिस्सेदारी है लेकिन इसके शेयरों को आयकर विभाग ने जब्त कर लिया है।
अधिकारी ने कहा, केयर्न एनर्जी, केयर्न इंडिया में अपनी अंशधारिता नहीं बेच सकती क्योंकि आस्ति कुर्क की जा चुकी है। अग्रवाल की केयर्न इंडिया ने टैक्स मांग के खिलाफ पिछले साल अप्रैल में दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होनी है। वहीं केयर्न एनर्जी ने टैक्स मांग के खिलाफ मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू की है। वहीं सरकार ने कर कानूनों में पूर्व की तिथि वाले टैक्स मामलों को निपटाने के लिए एक नई पेशकश की है। इसके तहत सम्बद्ध कंपनी को ब्याज व जुर्माने की माफी के बाद मूल राशि चुकानी होगी।